Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan - भरतपुर का जाट वंश

भरतपुर की स्थापना दशरथ के पुत्र भरत के नाम से हुई । आधुनिक भरतपुर की स्थापना 1733 ई. में सूरजमल जाट द्वारा लोहागढ़/भरतपुर दुर्ग की स्थापना के साथ मानी जाती है । 

Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan - भरतपुर का जाट वंश

Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan - भरतपुर का जाट वंश
Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan - भरतपुर का जाट वंश

अज्जा

राजस्थान में जाट शक्ति का उदय करने का श्रेय भज्जा को जाता है ।

राजाराम (1685-88 ई.)

  • राजाराम भज्जा सिंह का बड़ा पुत्र था ।
  • राजाराम ने मार्च, 1688 ई. को सिकंदरा( आगरा) में स्थित 'अकबर की कब्र' को खोदकर अकबर की हड्डियों को जला दिया और वहाँ से सोने और चाँदी के बर्तन व गलीचे आदि समान लूट कर ले गया ।
  • 1688 ई. में बिशनसिंह व औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श ने राजाराम को उसी के क्षेत्रे में मार गिराया और उसका सिर काटकर औरंगजेब के पास भिजवा दिया । औरंगजेब ने राजाराम के कटे सिर के साथ आगरा में बड़ा उत्सव मनाया ।

चूड़ामन (1688-1722 ई)

  • राजाराम की मृत्यु के बाद उसका भाई चूड़ामन 1688 ई. में जाटों का नेता बना ।
  • चूड़ामन जाट को ही ‘जाट साम्राज्य का संस्थापक' माना जाता है
  • चूड़ामन ने अपनी राजधानी थून को बनाया और पुराने थून के किलें के स्थान पर एक मजबूत किला खडा कर दिया ।
  • जहाँदर शाह के बाद फर्रूखसियर दिल्ली के तख्त पर बैठा तो उसने चूड़ामन को राव बहादुर खान की उपाधि दी ।

बदनसिंह (1722-56 ई)

  • सवाई जयसिंह ने थून के किले को जीतकर 23 नवंबर, 1722 ई को बदनसिंह के सिर पर सरदारी पाग ( पगड़ी ) बाँधकर राजाओं के समान तिलक लगाकर उसको चूड़ामन का उत्तराधिकारी नामजद किया एवं उसे निशान नक्कारा तथा पंचरंगा झंडा प्रदान कर ब्रजराज की उपाधि देते हुए डीग की जागीर दी 
  • बदनसिंह ने ही 1722 ई. में भरतपुर नामक नवीन रियासत का गठन कर डीग के किले व जलमहलों का निर्माण शुरू करवाया । बदनसिंह को ही 'जाट राजवंश का वास्तविक संस्थापक' माना जाता है ।

सूरजमल (1756-63 ई)

  • सूरजमल ने 1733 ई. में सोगर या जाट खेमकरण को मारकर भरतपुर पर अपना अधिकार कर लिया ।
  • 1756 ई. में सूरजमल वास्तविक रूप से भरतपुर का शासक बना
  • सूरजमल की राजनैतिक सूझबूझ, बुद्धि व स्पष्ट दृष्टि के कारण इसे 'जाटों का प्लेटो/जाट जाति का अफलातून' के नाम से जाना जाता है ।
  • सूरजमल की दी गई सहायता के बदले नवाब ने भरतपुर में जाटों की एक खुदमुख्तार हुकूमत की पहली बार औपचारिक रूप से जाट राज्य की मान्यता दी ।

रणजीत सिंह (1777-1808 ई.)

  • 1777 ई. में रणजीत भरतपुर का शासक बना ।
  • 1803 ई. में जसवंत राय होल्कर ने भरतपुर दुर्ग में आकर शरण ली । होल्कर को गिरफ्तार करने के लिए 1803 ई. में लार्ड लेक के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने लोहगढ़ दुर्ग पर आक्रमण किया पंरतु भरतपुर दुर्ग लोहे के समान अड़िग व अजेय रहा अंत में विवश होकर ब्रिटिश हुकुमत को भरतपुर के राजा रणजीत सिंह से 29 सितम्बर, 1803 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि करनी पडी । रणजीत सिंह की राजस्थान के पहले शासक व भरतपुर राजस्थान की पहली रियास जिसने ब्रिटिश हुकूमत को धूल चटाई ।

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