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Raj GK में आपका स्वागत है आज हम 1857 Revolution in Rajasthan ( राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह ) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं यह पोस्ट Rajasthan GK से संबंधित है 1857 की क्रांति का उल्लेख इस में किया गया है
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राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह |
1857 Revolution in Rajasthan ( राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह )
1857 की क्रांति ( Revolution ) के समय राजस्थान में कुल 6 सैनिक छावनियाँ (कम्पनी) थी ।
- नीमच (मध्य प्रदेश)
- नसीराबाद (अजमेर)
- देवली (टोंक)
- ब्यावर (अजमेर)
- एरिनपुरा (पाली)
- खेरवाड़ा (उदयपुर)
NOTE – खैरवाड़ा व ब्यावर सैनिक छावनीयों ने इस सैनिक विद्रोह में भाग नहीं लिया था ।
Rajasthan Political agent in revolution
- कोटा - मेजर बर्टन
- जोधपुर - मेक मैसन
- भरतपुर - मोरिशन
- जयपुर - ईडन
- उदयपुर - शावर्स
- सिरोही - जे.डी.
Rajasthan Rajput ruler in revolution
- कोटा रियासत -राम सिंह
- जोधपुर रियासत -तख्तसिंह
- भरतपुर रियासत -जसवंत सिंह
- उदयपुर रियासत -स्वरूप सिंह
- जयपुर रियासत -रामसिंह द्वितीय
- सिरोही रियासत -शिव सिंह
- धौलपुर रियासत -भगवंत सिंह
- बीकानेर रियासत -सरदार सिंह
- करौली रियासत - मदनपाल
- टोंक रियासत -नवाब वजीरूद्दौला
- बूंदी रियासत -राम सिंह
- अलवर रियासत -विनय सिंह
- जैसलमेर रियासत - रणजीत सिंह
- झालावाड रियासत -पृथ्वी सिंह
- प्रतापगढ़ रियासत -दलपत सिंह
- बांसवाड़ा रियासत - लक्ष्मण सिंह और
- डूंगरपुर रियासत -उदयसिंह थे
राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ ( Revolution in Rajasthan )
- तत्कालीन ए.जी.जी. जार्ज पैट्रिक लारेंस था
- क्रांति का प्रतीकं चिह्न कमल और चपाती था ।
- 1845 ईं. से A.G.G. का मुख्यालय माउण्ट आबू था ।
नसीराबाद में विद्रोह ( Rebellion in Nasirabad )
- क्रांति का राजस्थान में आरम्भ 28 मई 1857 से नसीराबाद छावनी में 15वीं N.I. सैन्य टुकडी के विद्रोह से हुआ ।
- इन सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारियों न्यूबरी ,के. वेनी, और के. स्पोर्टिसवुड की हत्या कर दी
- 18 जून को दिल्ली विद्रोह में शामिल हो गए यहां की क्रांति का नायक बख्तावर सिंह था
कोटा में विद्रोह ( Revolution in Kota )
- सम्पूर्ण राजपूताने में क्रांति का सुनियोजित आरम्भ जो वास्तव में "जनविद्रोह" था कोटा में 15 अक्टूबर 1857 से आरम्भ हुआ ।
- कोटा में क्राति के नायक जयदयाल एवं मेहराब खाँ थे ।
- उनके नेतृत्व में '' भबानी'' और " नारायण '' नामक सैन्य टुकडियों ने विद्रोह किया ।
- विद्रोह के समय कोटा नरेश महाराव रामसिंह- 2 थे
- जिन्हें विद्रोहियों ने 6 माह से अधिक समय तक बंदी बनाये रखा ।
- यहां के नरेश महाराव रामसिंह- 2 को करौली नरेश मदनपाल सिंह ने जनवरी 1858 मे मुक्त करवाया था
- कोटा विद्रोह को एच जी. रॉबर्टस द्वारा 30 मार्च, 1858 को दबाया गया ।
- कोटा P.A. मेजर बर्टन की हत्या करके विद्रोहियों ने उसका कटा सिर भाले पर रखकर पूरे शहर में घुमाया था ।
टोंक में विद्रोह Revolution in tonk )
- राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासतों का नवाब वजीरूद्दौला अंग्रेजों का सहयोगी था ,
- किंतु नवाब के मामा मीर आलम खां के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह कर टोंक पर कब्जा कर लिया
- मोहम्मद मुजीब के नाटक आजमाइश के अनुसार टोंक के विद्रोह में महिलाओं ने भी भाग लिया था
धौलपुर में विद्रोह ( Revolution in Dholpur )
- यहां क्रांतिकारियों ने रामचंद्र, देवा गुर्जर और हीरा लाल के नेतृत्व में विद्रोह किया था
- धौलपुर में ही देवा गुर्जर के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने इरादत नगर की तहसील और सरकारी खजाने को लूट लिया था
- धौलपुर नरेश भगवन्त सिंह की प्रार्थना पर पटियाला नरेश की सिक्ख सेना ने आकर धोलपुर को क्रांतिकारियों के प्रभाव से मुक्त करवाया था
मेवाड़ के अप्रत्यक्ष विद्रोही
- राजपूताने का प्रथम नरेश जिसने अंग्रेजों को सर्वप्रथम शरण दी वह उदयपुर महाराणा स्वरूपसिंह था
- महाराणा स्वरुपसिंह ने उदयपुर P.A. कैप्टन शावर को पिछोला झोल में बने जगमंदिर महलों में शरण दी थी ।
आउवा
- 1857 की क्रांति में राजपूताने में अंग्रेजों को सर्वाधिक प्रतिरोध का सामना आउवा (पाली) के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत से करना पड़ा ।
- आउवा सेना ने " काला-गोरा युद्ध " (चेलावास युद्ध) 18 Sept 1857 में ब्रिटिश सेना और जोधपुर रियासत की सम्मिलित सेनाओं को परास्त किया ।
- "काला-गोरा युद्ध" मे A.G.G. जार्ज पैट्रिक लारेंस एवं जोधपुर P.A. मैकमेसन ने भी भाग लिया था ।
- '' काला-गोरा युद्ध '' में मैकमेसन मारा गया । विद्रोहियों ने उसके कटे सिर को आउवा दुर्ग के फाटक पर लटका दिया था ।
- कर्नल होम्स ने आउवा दुर्ग को जीत कर वहां से सुगाली माता की मूर्ति, 6 पीतल+7 लोहे की तोपे अजमेर लाया था ।
एरिनपुरा
- 21 अगस्त, 1857 को हुआ।
- इसी समय क्रान्तिकारियों ने एक नारा दिया ‘‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’’।
- इस समय जोधपुर के शासक तख्तसिंह थे।
- क्रन्तिारियों ने आऊवा के ठाकुर कुषालसिंह से मिलकर तख्तसिंह की सेना का विरोध किया।
- तख्तसिंह की सेना का नेतृत्व अनाड़सिंह व कैप्टन हिथकोट ने किया था।
- जबकि क्रान्तिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुषालसिंह चंपावत ने किया था।
- दोनो सेनाओं के मध्य 13 सितम्बर, 1857 को युद्ध हुआ।
- यह युद्ध बिथोड़ा (पाली) में हुआ। जिसमें कुषालसिंह विजयी रहें एवं हीथकोट की हार हुई।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- राजपूताने का एकमात्र नरेश जिसने विद्रोह के दौरान कम्पनी ( अंग्रेज ) का साथ नहीं दिया बूंदी नरेश महारावल राम सिंह हाड़ा था
- बीकानेर महाराजा सरदार सिंह एकमात्र राजपूत नरेश थे जो विद्रोह को दबाने राज्य की सीमा से बाहर हरियाणा तक गये ।
- क्रांति का सबसे पहला शहीद अमरचंद बांठिया था
- अमरचंद बांठिया को 1857 की क्रांति का भामाशाह भी बोला जाता है
- क्रांति का सबसे युवा शहीद हेमू कलानी था जिसे टोंक में फांसी दी गई थी।
- जयपुर महाराजा रामसिंह - 2 को अंग्रेजों ने क्रांति में कंपनी का सहयोग करने के फलस्वरूप '' सितार-ए- हिंद " की उपाधि दी ।
दोस्तों यह
Rajasthan GK (Raj GK )
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2 Comments
Nyc
ReplyDeleteSuper
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