औरंगजेब 1658 से 1707 - उत्तराधिकारी युद्ध के समय औरंगजेब दक्षिण का सूबेदार था औरंगजेब का प्रथम राज्य अभिषेक 21 जुलाई 1658 को और दूसरा राज्याभिषेक 5 जून 1659 को आगरा में हुआ शासक बनते समय औरंगजेब ने आलमगीर की उपाधि धारण की थी औरंगजेब को सादगीपूर्ण जीवन जीने के कारण शाही दरवेश और अत्यधिक धार्मिक कट्टरता के कारण जिंदा पीर कहा जाता था औरंगजेब को वीणा और अकबर को नगाड़ा बजाने का शौक था औरंगजेब ने 1663 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया 1669 में बनारस फरमान जारी किया इस फरमान के अंतर्गत हिंदू मंदिरों और हिंदू पाठशालाओं को तोड़ने का आदेश दिया गया था 1679 में औरंगजेब ने जजिया कर को पुनः लागू किया
औरंगजेब के काल में हुए प्रमुख विद्रोह
जाटों का विद्रोह 1669
- औरंगजेब के विरुद्ध पहला विद्रोह 1669 में मथुरा के समीप का क्षेत्र के जाट जमीदार गोकुला के नेतृत्व में हुआ गोकुला के बाद जाट विद्रोह का नेतृत्व चूड़ामन ने किया चूड़ामण ने 1685 में सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे को लूटा और अकबर की अस्थियों को जला दी चूड़ामन के बाद जाटों का नेतृत्व बदन सिंह ने किया बदन सिंह को भरतपुर के जाट राज्य का संस्थापक माना जाता है
सतनामियों का विद्रोह 1672
- हरियाणा के नारनौल क्षेत्र में सतनामियों ने वीरभान के नेतृत्व में औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह किया था
सिख विद्रोह 1675
- सिक्खों के नौवे गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की धार्मिक नीतियों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया परिणाम स्वरुप औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड दे दिया जिस स्थान पर गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड दिया गया वहां गुरुद्वारा शीशगंज बनाया गया है यह गुरुद्वारा दिल्ली में स्थित है सिक्खों के अंतिम वह दसवें गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी
शहजादे अकबर का विद्रोह 1681
- विद्रोह काल में अकबर को पहले वीर दुर्गादास ने और बाद में मराठा छत्रपति संभाजी ने सहायता दी थी लेकिन औरंगजेब ने अकबर के विद्रोह का दमन कर दिया औरंगजेब ने 1686 ने बीजापुर को 1687 में गोलकुंडा को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया
पुरंदर की संधि 1665
- यह संधि शिवाजी और मिर्जा राजा जयसिंह के मध्य हुई थी मिर्जा जयसिंह ने इस संधि में औरंगजेब का प्रतिनिधित्व किया था
संगमेश्वर युद्ध 1689
- औरंगजेब और मराठा छत्रपति संभाजी के मध्य हुआ संभाजी पराजित हुए और उन्हें बंदी बना लिया गया मुगलों की कैद में ही संभाजी व उनके सहायक कवि कलश को यातनाएं देकर मार दिया गया
- 1678 में जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने जोधपुर राज्य को खालसा घोषित कर दिया तथा जसवंत सिंह के पुत्र अजीत सिंह को शासक मानने से इनकार कर दिया लेकिन राठौड़ों ने वीर दुर्गादास के नेतृत्व 1678 से 1708 तक मुगलों से संघर्ष किया जिसे मारवाड़ का 30 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है 1660 में किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमती से विवाह को लेकर मेवाड़ के राणा राज सिंह और औरंगजेब के मध्य शत्रुता प्रारंभ हो गई मेवाड़ के राणा जयसिंह और औरंगजेब की मध्य एक समझौता हुआ जिसे मुगल सिसोदिया गठबंधन कहा जाता है औरंगजेब की मृत्यु मार्च 1707 में दक्षिण भारत में औरंगाबाद महाराष्ट्र में हुई थी
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