कैलादेवी करौली के यदुवंशी राजवंश की कुलदेवी है । कैलादेवी को यदुवंशी (यादव) राजवंश दुर्गा के रूप में पूजता है। कैलादेवी के भक्त कैला देवी की आराधना में प्रसिद्ध लांगुरिया गीत गाते है ।
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| कैला देवी का इतिहास | 
कैला देवी का इतिहास - Kela Devi Rajasthan
- Kela Devi का लक्खी मेला प्रतिवर्ष चैत्रमास की शुक्ल अष्टमी की त्रिकूट पर्वत की चोटी पर भरता है ।
 - कंस द्वारा देवकी की कन्या का वध करने पर यही कन्या कैलादेवी के रूप में त्रिकूट की घाटी में विराजित है ।
 - कैलादेवी के सामने ही बोहरा की छतरी है ।
 - पुश्तैनी बीमारी को बोहरा का पुजारी झाड़-फूंक कर ठीक कर देता है ।
 - कैलादेवी गुर्जरों व मीणाओं की इष्टदेवी है । लांगुरिया नृत्य हनुमानजी का प्रतीक है ।
 - जब तक कालीसिल में स्नान नहीं किया जाता तब तक कैलादेवी की तीर्थयात्रा भी सफल नहीं होती ।
 - कैलादेवी का मंदिर करौली जिले में कालीसिल नदी के किनारे त्रिकूट पर्वत पर स्थित है ।
 - Kela Devi पूर्वजन्म में हनुमानजी की माता अंजनी थी, अत: कैला देवी को 'अंजनी माता' भी कहते है ।
 - कैला देवी करौली के यदुवंशी ( यादव ) राजवंश की जादोन शाखा की कुल देवी है ।
 - कैलादेवी के मंदिर में कैला देवी के साथ चामुंडा माता की मूर्ति भी स्थित है ।
 - लांगुरिया गीत - लांगुरिया लंगूर का अपभ्रंश है जो स्वंय हनुमान जी का सूचक है ।
 - कैला मैया हनुमान जी की माँ अंजना देवी का अवतार है
 - इसीलिए हनुमान् जी को लोग लंगूर संबोधित करते हुए लांगुरिया गाया जाता है ।
 - हनुमान जी अग्रवाल जाति के कुल देवता एवं उनकी माँ अंजना देवी उनकी कुल देवी है ।
 - कैला गाँव को लौहरा ( लहुरा का अर्थ लड़का ) गाँव भी कहा जाता है ।
 
कैला देवी के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- Kela Devi का प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल अष्टमी को मेला भरता है जिसमें लाखों लोग दर्शनार्थ आते हैं । अत: इस मेले को लक्खी मेला भी कहते हैं ।
 - कैला देवी के मेले मे मीणा एवं गुर्जर जाति के लोग ' घुटकन/लांगुरिया नृत्य' करते हैं
 - कैला देवी (करौली) का मंदिर राजस्थान का एकमा त्र दुर्गा माता ( आठ भुजाओं में शस्त्र लिए सिंह पर सवार ) का मंदिर है जहाँ बलि नहीं दी जाती ।
 


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