Nadi Ghati Pariyojana - बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ

Nadi Ghati Pariyojana - इस पोस्ट में हम भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ  notes,, pdf, trick, के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ  टॉपिक आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- RPSC, Bank, SSC, Railway, RRB, UPSC आदि में सहायक होगा।

Nadi Ghati Pariyojana -  बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ 

जवाहरलाल नेहरूजी ने बहुउद्देशीय योजनाओं को आधुनिक भारत का मन्दिर' कहा था। भारत एवं राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई कुओं एवं नलकूपों से होती है। भारत में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र उत्तरप्रदेश में एवं कम सिंचित क्षेत्र-मिजोरम में है। 


देश में जल विद्युत परियोजनाओं की शुरूआत सन् 1897 में सिद्रापोंग (दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल) में एक लघु जल विद्युत गृह की स्थापना के साथ हुई । इसकी क्षमता 130KW(2x65KW) थी। यह परियोजना ब्रिटेन की सहायता से स्थापित की गई। 1997 में इसे हैरिटेज पॉवर स्टेशन घोषित किया गया। 1947 में जल विद्युत की स्थापित क्षमता 12 जल विद्युत परियोजनाओं के साथ 508 मेगावाट थी।
Nadi Ghati Pariyojana -  बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ


भारतीय सिंचाई परियोजनाओं को हम तीन भागों में बांट सकते हैं

 (i) लघु सिंचाई योजना-

इस योजना के अन्तर्गत 2000 हैक्टेयर से कम क्षेत्र की सिंचाई होती है। इस योजना में कुँए, नलकूप, डीजल पम्पसेट, तालाब, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर, एनीकट आदि शामिल किये जाते हैं। भारत की सिंचाई आवश्यकताओं की लगभग 62% आपूर्ति लघु सिंचाई परियोजना से होती है।

(ii) मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ-

इस परियोजना के अन्तर्गत 2000 से 10,000 हेक्टेयर तक क्षेत्र की सिंचाई होती है। इस सिंचाई में मुख्यतः नहरों को शामिल करते हैं।

(iii) वृहत् सिंचाई परियोजनाएँ-

इस परियोजना के अन्तर्गत 10,000 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रों की सिंचाई होती है। इसके लिए बड़े बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती है। बड़ी व मध्यम परियोजना से देश की 38% सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।

प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना


दामोदर नदी घाटी परियोजनाएँ-

यह भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद की प्रथम बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह परियोजना 'बंगाल का शोक' कही जाने वाली दामोदर नदी  पर  झारखंड और पश्चिम बंगाल में फैली हुई है, जो अमेरिका की 'टेनेसी घाटी योजना' (1933-विश्व की प्रथम) के अनुसार प्रथम | पंचवर्षीय योजना के दौरान 1948 ई. में अस्तित्व में आई । इसका | प्रमुख उद्देश्य दामोदर नदी में आने वाले बाढ़ के पानी को रोककर । उचित उपयोग करना है दामोदर नदी परियोजना के संचालन इसका हेतु दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है एवं इस योजना के तहत बराकर नदी के किनारे झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिले में तिलैया बाँध बनाया गया है, जो स्वतंत्र भारत का पहला बाँध है। इस जल विद्युत संयत्र की क्षमता । 147.2 मेगावाट (मेथान-2 x 20 +1x23.2 = 63.2, पंचेत-2x 40 = 80, तिलैया-2 x 2 = 4) है।

याद करने  की trick दामोदर नदी पर स्थित प्रमुख बाँध


'दामोदर का पति कोना में दादु के साथ खड़ा है।' 
प-पंचेत पहाड़ी बाँध (1959 ई.)
 ति-तिलैया बाँध (1953 ई.) 
कोना-कोनार बाँध (1955 ई.) 
मे-मेथान बाँध (1978 ई.) 
दा-दामोदर घाटी परियोजना 
दु-दुर्गा बैराज परियोजना

हीराकुण्ड परियोजना-

यह परियोजना ओडिशा राज्य से सम्बन्धित है जो 'ओड़िशा का शोक' कही जाने वाली महानदी पर निर्मित की गई है [UPTET-2016]। इस परियोजना के तहत ओडिशा राज्य के सम्बलपुर जिले में महानदी पर 'विश्व का सबसे लम्बा बाँध' (4801 मी.) हीराकुण्ड बाँध बनाया गया है [CGTET 2011] |

महानदी पर स्थित प्रमुख बाँध trick


'महानदी हीरा की तिकन में जाती है।'

हीरा-हीराकुण्ड बाँध 
तिक-तिकरपाड़ा बाँध
न-नराज बाँध

नर्मदा घाटी परियोजना (सरदार सरोवर परियोजना)- 

यह परियोजना गुजरात राज्य की 'भाग्य रेखा' कही जाने वाली 'नर्मदा नदी' पर निर्मित की गई है, जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है, जिसमें राजस्थान का हिस्सा 0.5 M.A.F. पानी है। इस परियोजना के अन्तर्गत नर्मदा नदी के किनारे नवगाम (गुजरात) नामक स्थान पर 'सरदार सरोवर बाँध' (138.68 मी. ऊँचा) का निर्माण किया गया है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् 'मेघा पाटेकर' ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन इसी परियोजना के दौरान | प्रारम्भ किया जिसका उद्देश्य परियोजना के दौरान विस्थापित किये गये लोगों को पुर्नवास उपलब्ध कराना था। नर्मदा नदी के कुल अपवाह क्षेत्र का 86% मध्य प्रदेश में, 12% महाराष्ट्र में और 2% गुजरात में है। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकारण द्वारा सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई 121.91 मी. से 138.68 मीटर करने की अनुमति 12 जून, 2014 को प्रदान की गई।

ध्यातव्य रहे- राजस्थान के जालौर व बाड़मेर को इसी नर्मदा नहर परियोजना से फव्वारा पद्धति से सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है। विश्व का सबसे ऊँचा बाँध जिन पिंग बाँध (305 मी.) यलोंग नदी पर स्थित है।

टिहरी परियोजना (उत्तराखण्ड) -

यह बांध भागीरथी नदी व भीलांगना नदी के संगम पर बना हुआ विश्व का सबसे ऊँचा चट्टान आपूर्ति बाँध एवं भारत का सबसे ऊँचा बाँध (260.5 मी. ऊँचा) है। इस बाँध का निर्माण 1978 ई. में प्रारम्भ किया गया। बॉध के पीछे निर्मित 'जलाशय' स्वामी रामतीर्थ सागर सरोवर के नाम से जाना है जाता । यह बाँध भारत के भूकंप जोन V के अन्तर्गत आता है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् तथा 'चिपको आन्दोलन' के प्रणेता 'सुन्दरलाल बहुगुणा ने इस परियोजना के विरोध में कई बार अनशन किया था। इस परियोजना की कुल नियोजित क्षमता 2400 मेगावाट है। टिहरी परियोजना में निम्न शामिल हैं - 1. टिहरी बाँध व जल विद्युत संयंत्र (250x4 = 1000 MW)-2006-07 में पूर्ण, 2. कोटेश्वर जल विद्युत प्रोजेक्ट (4x100 = 400 MW)-11वीं योजना में पूर्ण तथा 3. टिहरी पम्प स्टोरेज प्लांट (1000 MW) निर्माणाधीन, यह भारत का सबसे बड़ा PSP है।

धौलीगंगा-प्रथम परियोजना (उत्तराखण्ड) 

यह परियोजना धौलीगंगा (शारदा नदी की सहायक नदी है) नदी के किनारे पिथौरागढ़ (उत्तराखण्ड) नामक स्थान पर 280 मेगावाट की परियोजना है। धौलीगंगा नदी पर 56 मीटर ऊँचा व 342 मीटर लम्बा रॉकफिल बाँध बनाया गया है।

उरी-प्रथम एवं द्वितीय परियोजना (जम्मू-कश्मीर )- 

उरी प्रथम परियोजना झेलम नदी पर निर्मित (बारामूला, जम्मू-कश्मीर) 480 मेगावाट की परियोजना है जिसका संचालन सन् 1996-97 में किया गया । उरी द्वितीय परियोजना (सलेमाबाद गाँव, बारामूला, जम्मू कश्मीर) का संचालन 2013-14 में किया गया जिसकी क्षमता 4 x 60 = 240MW है तथा झेलम नदी पर NHPC द्वारा निर्मित यह परियोजना जुलाई 2014 में राष्ट्र को समर्पित की गई।

रिहन्द बाँध परियोजना-

यह उत्तर प्रदेश में सोन की प्रसिद्ध घाटी में उसकी सहायक नदी रिहन्द पर सन् 1962 में पिपरी (सोनभ्रद, उत्तरप्रदेश) नामक स्थान पर बनाया गया है। इस बाँध के पीछे 'गोविन्द वल्लभ पंत सागर' [UPTET-2017] नामक एक कृत्रिम झील बनायी गयी है जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इसकी क्षमता 6 x 50 %= 300MW है तथा संचालक उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड है।

किशनगंगा परियोजना (जम्मू-कश्मीर )- 

किशनगंगा नदी के किनारे जम्मू-कश्मीर में स्थापित 3x110 = 330 MW की यह परियोजना मार्च, 2018 में पूर्ण हुई तथा इस परियोजना के संबंध में भारत-पाकिस्तान में विवाद था। इस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मई, 2018 को किया।

तीस्ता-पंचम परियोजना (सिक्किम ) -

यह परियोजना तीस्ता नदी ( सिक्किम की सबसे बड़ी नदी) के किनारे सिक्किम में 510 मेगावाट (3× 170 मेगावाट) की परियोजना है लाभान्वित राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड व दामोदर घाटी निगम। NHPC Ltd द्वारा संचालित रन ऑफ द रिवर परियोजना।

कावेरी परियोजना-

यह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल ( एवं पांडिचेरी राज्यों की संयुक्त परियोजना है, जो 'दक्षिण की गंगा'  कही जाने वाली 'कावेरी नदी' पर निर्मित की गई है। इस पर कर्नाटक राज्य में 'मैसूर बाँध' का निर्माण किया गया है। देश की पहली जल विद्युत परियोजना (शिव समुद्गम परियोजना , तमिलनाडु) का निर्माण इसी नदी पर किया गया है। विगत् कई वर्षों से इस नदी के जल के बंटवारे को लेकर सम्बन्धित राज्यों के मध्य विवाद चर्चा का विषय रहा है ।

वांगचू परियोजना (भूटान)- 

यह वांगचू नदी के किनारे वांगचू (भूटान) में 570 मेगावाट की परियोजना है।

माताटीला परियोजना ( उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश )- 

यह उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की बेतवा नदी के किनारे 30.6 मेगावाट की संयुक्त परियोजना है।

तीस्ता लोडैम-तृतीय परियोजना ( पश्चिम बंगाल)-

यह परियोजना तीस्ता नदी के किनारे दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर 132 मेगावाट (4 x33 मेगावाट) की परियोजना है। ध्यान रहे-तीस्ता लोडैम का-चतुर्थ एनएच-31ए पर दार्जिलिंग में है।

व्यास परियोजना-

यह परियोजना सिंचाई की अप्रत्यक्ष योजना है, इसका प्रमुख उद्देश्य विद्युत उत्पादन व इंदिरा गाँधी नहर हेतु हरिके बैराज बाँध में गर्मियों में पानी की कमी को पूरा करना है। यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश (हिमाचल प्रदेश केवल जल विद्युत हेतु) की संयुक्त परियोजना है, जिसका निर्माण रावी, व्यास एवं सतलज नदी पर पंडोह (देहर, हिमाचल प्रदेश) व पोंग बाँध (यह बाँध मुख्यतया व्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में बनाया गया) बनाकर किया गया है।

टनकपुर परियोजना (उत्तराखण्ड) - 

यह परियोजना शारदा नदी (नेपाल में इसे महाकाली नदी भी कहते हैं) के किनारे बनबासा (उत्तराखण्ड) नामक स्थान पर 120 मेगावाट की परियोजना है। इस परियोजना से नेपाल को भी विद्युत प्राप्त होगी।

तीस्ता चरण छठी परियोजना (सिरवानी, सिक्किम) - 

4  × 125 = 500 MW की यह परियोजना तीस्ता नदी पर निर्मित की गई है। इस परियोजना में NHPC लिमिटेड द्वारा 26.5 मीटर ऊँचा बैराज बनाया गया।

कोलडैम परियोजना (हिमाचल प्रदेश )- 

यह परियोजना सतलज नदी के किनारे हिमाचल प्रदेश में 800 मेगावाट (4 x200 मेगावाट) की परियोजना है, जिसका जून, 2015 में निर्माण पूर्ण हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 18 अक्टूबर, 2016 को यह परियोजना राष्ट्र को समर्पित की गई।

दुलहस्ती परियोजना ( जम्मू-कश्मीर ) - 

यह परियोजना  चंद्रानदी (चिनाब नदी की सहायक नदी है) नदी के किनारे किश्तवार। (जम्मू-कश्मीर) नामक स्थान पर 390 मेगावाट की परियोजना है।

तिपाईमुख परियोजना (मणिपुर)-

यह परियोजना बराक नदी के किनारे तिपाईमुख (मणिपुर) नामक स्थान पर 1500 मेगावाट (6 × 250 मेगावाट) प्रस्तावित है, जिस पर बांग्लादेश ने विवाद | उठाया क्योंकि बराक नदी का उद्गम मणिपुर की पहाड़ियाँ है, जहाँ से र यह नदी मणिपुर, मिजोरम, असम, में बहते हुए बांग्लादेश में प्रवेश की करती है।

नागार्जुन सागर परियोजना -

इस बाँध का निर्माण आंध्रप्रदेश के गुंटूर व तेलंगाना के नलगोंडा नामक जिलों की सीमा पर कृष्णा ना नदी पर किया गया है, जो भारत का दूसरा सर्वाधिक भराव क्षमता वाला बाँध है।

ध्यातव्य रहे- इसके निर्माण में प्रसिद्ध बौद्ध स्थल नागार्जुनकोंडा डूबा था।

चमेरा परियोजना (हिमाचल प्रदेश ) - 

यह परियोजना रावी नदी के किनारे चम्बा (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान पर 540 मेगावाट, 300 मेगावाट (3 x 100 मेगावाट) एवं 231 मेगावाट (77 x 3 मेगावाट) की परियोजना है।

पार्वती परियोजना II एवं III (हिमाचल प्रदेश )- 

यह परियोजना पार्वती नदी के किनारे कुल्लू (हिमाचल प्रदेश ) नामक स्थान पर 800 मेगावाट (4x200MW) एवं 520 मेगावाट (4 130 मेगावाट) की परियोजना निर्माणाधीन है। इस परियोजना में बिहाली गाँव के निकट भूमिगत विद्युत गृह बनाया गया है।

तीस्ता-III परियोजना (उत्तरी सिक्किम, सिक्किम)- 

इसकी क्षमता 6200 = 1200MW है। तीस्ता नदी पर लाचेन चू व लाचुंग चू नदी के संगम पर स्थित यह परियोजना 2017 में पूर्ण हुई। इस परियोजना में तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड द्वारा सिंधिक गाँव में विद्युत गृह बनाया गया है।

रामपुर परियोजना (हिमाचल प्रदेश ) -

यह परियोजना सतलज नदी के किनारे बीलगाँव (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान पर 412.2 मेगावाट (68.67 x 6 मेगावाट) की परियोजना है। ISO- 14001 व ISO-18001 प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाली देश की पहला जल विद्युत परियोजना है, जो 2014 में पूर्ण हुई । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 18 अक्टूबर, 2016 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया।

थीन बाँध परियोजना ( पंजाब)-

यह परियोजना रावी नदी के किनारे शाहपुर कांडी में स्थित रणजीत सागर बाँध (पठानकाट, पंजाब) नामक स्थान पर 600 मेगावाट (4 x 150 मेगावाट) की परियोजना है। रणजी सागर बाँध 47 मीटर ऊँचा व 878 मीटर लम्बा बाँध है। इस परियोजना का शिलान्यास सन् 1985 में तत्कालीन । प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा किया गया था, जो वर्ष 2000 में पूर्ण हुई।

इंदिरा सागर परियोजना-

653 मीटर लम्बे व 92 मीटर ऊँचे)- इस बाँध का निर्माण मध्यप्रदेश के खण्डवा (मध्यप्रदेश) नामक स्थान पर नर्मदा नदी पर किया गया है, जो भारत में सर्वाधिक भराव | क्षमता वाला बाँध है। इंदिरा सागर जलाशय भारत में सबसे बड़ा जलाशय है। इस परियोजना की क्षमता 8x125 = 1000 MW है।

बाणसागर नहर परियोजना ( स्रोत-बाणसागर जलाशय)-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई 2018 को मिर्जापुर (उत्तरप्रदेश) में यह परियोजना राष्ट्र को समर्पित की, जिसका शिलान्यास सन् 1978 में किया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से इसमें देरी होती चली गई।

तुंगभद्रा बाँध परियोजना (कर्नाटक) - 

यह परियोजना तुंगभद्रा नदी (कृष्णा नदी की सहायक नदी है) के किनारे बेल्लारी गया (कर्नाटक) नामक स्थान पर 72 मेगावाट की परियोजना है। यह बाँध | दोआ पुरातात्विक स्थल हम्पी के निकट स्थित है, जो 2443 मीटर लम्बा व गई है 50 मीटर ऊँचा बाँध है।

नाथपाझाकरी परियोजना (हिमाचल प्रदेश )-

यह परियोजना सतलज नदी के किनारे शिमला (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान पर 1500 मेगावाट (6 x250 मेगावाट) की परियोजना है। नाथपा (कन्नूर जिला, हिमाचल प्रदेश) में 62.50 मीटर ऊँचा बाँध तथा विद्युत गृह झाकरी (जिला शिमला) में बनाया गया है। इसमें विश्व बैंक की सहायता प्राप्त हुई है। यह परियोजना वर्ष 2003-04 में पूर्ण हुई तथा 28 मई , 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई।

सलाल परियोजना (जम्मू-कश्मीर ) -

यह परियोजना चिनाब नदी के किनारे रियासी (जम्मू-कश्मीर) नामक स्थान पर 690 मेगावाट की परियोजना है। NHPC द्वारा चिनाब नदी पर सन् 1987 में निर्मित सलाल बाँध सिन्धु जल सन्धि के तहत् निर्मित पहला बाँध था।

सप्तकोसी व सिनकोसी परियोजना-

बराक क्षेत्र (नेपाल) में सप्तकोसी व सिनकोसी नदी पर निर्मित इस परियोजना के लिए पानी भारत ने नेपाल से सन् 1991 में समझौता किया था।

बगलिहार परियोजना (जम्मू-कश्मीर )-

यह परियोजना चिनाब नदी के किनारे डोडा (जम्मू-कश्मीर) नामक स्थान पर 900 मेगावाट की परियोजना है। 10 अगस्त, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री | मनमोहन सिंह द्वारा लोकार्पण किया गया और 1 जून, 2010 को इस परियोजना के संबंध में भारत व पाकिस्तान में विवाद समाप्त हुआ।

भाखड़ा नांगल परियोजना-

सतलज नदी पर स्थित पंजाब, राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना 'भाखड़ा नांगल परियोजना' भारत देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना का सर्वप्रथम विचार पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर 'सर लुईस डेन' ने 1908 में दिया। इस परियोजना की शुरूआत मार्च 1948 में हुई जिसके तहत् सतलज नदी पर भाखड़ा व नांगल नामक दो बाँध बनाये गये हैं। सतलज नदी पर इसका निर्माण अमरीकी बाँध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निदेशन (BBMB) में अक्टूबर, 1962 में पूर्ण हुआ तथा 22 अक्टूबर, 1963 का पूर्व व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई।

भाखड़ा बाँध-

इस बाँध का निर्माण हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर नामक स्थान पर किया गया है, जो भारत देश का दूसरा सबसे ऊँचा कर (226 मी./ 225.55 मी.) बाँध है। प. जवाहरलाल नेहरू ने इस बाँध दर को पुनरुत्थित भारत का नवीन मंदिर कहते हुए एक एसा चमत्कारी अद्भुत विराटवस्तु की संज्ञा दी है, जिसे देखकर व्यक्ति  रोमांचित हो उठता है।

नाँगल बाँध-

इस बाँध का निर्माण सतलज नदी पर भाखड़ा बाँध  से 13 किमी. नीचे नांगल (रोपड़, पंजाब) नामक स्थान पर किया गया है, जहाँ से सिंचाई के लिए दो नहरें पंजाब राज्य के लिए बिस्त व दोआब नहर एवं राजस्थान व हरियाणा के लिए भाखड़ा नहर निकाली | गई हैं 

ध्यातव्य रहे- इस परियोजना में राजस्थान का हिस्सा 15.22% M.A.F. है और इस परियोजना से राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है। वर्तमान में भाखड़ा नॉगल परियोजना की कुल क्षमता 1534.3 मेगावाट है।

ओमकारेश्वर परियोजना ( मध्य प्रदेश)- 

यह परियोजना नर्मदा नदी के किनारे सिद्धवरकुट (खंडवा, मध्यप्रदेश ) नामक स्थान पर 520 मेगावाट (8 x 65 मेगावाट) की परियोजना है। 

मेटूर परियोजना (तमिलनाडु)-

यह परियोजना कावेरी नदी के किनारे 240 मेगावाट की परियोजना है। यह परियोजना तमिलनाडु व कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद के कारण चर्चा में रही।

इडुक्की परियोजना व मुल्ला पेरियार बाँध (केरल)-

यह परियोजना पेरियार नदी के किनारे इडुक्की जिले में इलायची की पहाड़ियों (केरल) में 780 मेगावाट की परियोजना है। इस बाँध का निर्माण 1887 से 1895 के मध्य ब्रिटिश सरकार द्वारा मद्रास प्रांत में पानी लाने के लिए पेरियार नदी पर किया गया,  जिसके वास्तुकार मेजर पेनीक्वीक थे।

चम्बल परियोजना-

यह योजना मध्य प्रदेश व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना में गांधीनगर बाँध (मानपुरा, गुजरात) 1960 ई. में बनवाया गया।

चंबल नदी पर स्थित नदी घाटी परियोजनाएँ trick

चंबल के गाँधी का राज कोटा पर भी है।'

चंबल-चंबल परियोजना गाँधी-गाँधी सागर बाँध
रा-राणा प्रताप सागर बाँध ज-जवाहर सागर बाँध
कोटा-कोटा बैराज

अलमाटी बाँध परियोजना ( कर्नाटक) -

यह परियोजना कृष्णा नदी के किनारे बीजापुर (कर्नाटक) नामक स्थान पर 290 मेगावाट की परियोजना है।



काली नदी परियोजना (कर्नाटक) -

यह परियोजना काली नदी के किनारे 1225 मेगावाट की परियोजना है, जिस पर सूपा पा बाँध, अपर कानेरी बाँध, कादरा बाँध, कोडसल्ली बाँध, बोम्मनहल्ली में बाँध व टाटीहल्ला बाँध बनाए गए हैं।

मयूराक्षी परियोजना-

इस बाँध को 'कनाडा बाँध या मैंसेनजोर बाँध' भी कहते हैं। छोटानागपुर पठार के उत्तर-पूर्वी भाग की एक छोटी नदी मयूराक्षी के तट पर पश्चिम बंगाल के वीरभूम में जिले में मेंसजोर नामक स्थान पर बाँध बनाया गया है, जिससे झारखंड को बिजली से और पश्चिम बंगाल को सिंचाई की नहरों से लाभान्वित किया जा रहा है।

कोयना परियोजना ( महाराष्ट्र )- 

महाराष्ट्र की जीवन रेखा कहलाने वाली यह परियोजना कोयना नदी (कृष्णा नदी की सहायक नदी) के किनारे कोयनानगर (महाराष्ट्र) नामक स्थान पर है। इसके पीछे शिवाजी सागर जलाशय है। इस परियोजना की क्षमता 1956 मेगावाट है।

शरावती परियोजना (कर्नाटक) - 

यह परियोजना शरावती नदी के किनारे 1469 मेगावाट की परियोजना है। शरावती परियोजना में शरावती विद्युत गृह अम्बुतीर्थ, लिंगनमक्की बाँध पॉवर हाऊस, गोरसप्पा बाँध, महात्मा गाँधी विद्युत गृह बनाए गए हैं।

राणा प्रताप सागर बाँध-

यह बाँध चम्बल नदी पर रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) में चम्बल घाटी परियोजना के दूसरे चरण के तहत् 1960 से 1970 में बनकर तैयार हुआ। जिसे 1970 में राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। इस बांध के ऊपर कनाडा के सहयोग से राजस्थान का प्रथम व देश का दूसरा परमाणु विद्युत गृह बनाया गया है।

केन बेतवा लिंक परियोजना-

उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की इस संयुक्त परियोजना में केन व बेतवा नदियों को जोड़कर दोनों राज्यों में पेयजल व सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लिए इसका शुभारम्भ 25 अगस्त, 2005 को प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना के अन्तर्गत किया गया है

ध्यातव्य रहे-अमृत क्रान्ति के नाम से शुरू की गई यह योजना देश की प्रमुख नदियों को जोड़ने की दिशा में एक सफल पहल है। यह अन्य राज्यों को अपनी जल विवाद निपटारे हेतु प्रेरित करेगी।

नीलम संजीव रेड्डी सागर व श्री सेलम परियोजना (आंध्रप्रदेश व तेलंगाना)-

यह परियोजना कृष्णा नदी के किनारे कर्नूल (आंध्रप्रदेश) व महबूब नगर (तेलंगाना) नामक स्थानों पर 900 मेगावाट (6x 150 मेगावाट) व 770 मेगावाट (7 x |10 मेगावाट) कुल 1670 मेगावाट की परियोजना है। यह बाँध सन 1984 में बनकर पूर्ण हुआ तथा यह 145 मीटर ऊँचा व 512 मीटर लम्बा बाँध है।

मचकुंड जल विद्युत परियोजना (आंधप्रदेश)-

यह परियोजना मंचकुंड नदी व डुडुमा प्रपात (आंध्रप्रदेश) के निकट 120 मेगावाट की परियोजना है। यह आंध्रप्रदेश व ओडिशा सरकार की संयुक्त परियोजना है, जो 1959 में पूर्ण हुई।

नागार्जुन सागर बाँध परियोजना (गुंटूर जिला, आंध्र प्रदेश व नालगोंडा जिला, तेलंगाना)-

इस परियोजना की कुल क्षमता 965.6 मेगावाट है तथा 10 दिसम्बर, 1955 को पं.जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस का शुभारम्भ किया गया, तो वहीं 4 अगस्त, 1967 को श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा बांध की दोनों नहरों में पानी छोड़ा गया। यह बाँध सन् 1974 में बनकर पूर्ण हुआ जो 124.66 मीटर ऊँचा व 486E मीटर लम्बा बाँध है तथा इससे लाभान्वित प्रदेश आन्ध्रप्रदेश व तेलंगाना है, तो वहीं इस बाँध के पीछे नागार्जुन सागर जलाशय निर्मित किया गया है। इसकी बांयी नहर लाल बहादुर शास्त्री नहर तथा दांयी नहर को जवाहर नहर कहा जाता है।

पारे जल विद्युत परियोजना (पापुमपारे, अरुणाचल प्रदेश)-

नीपको लिमिटेड द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थापित 2x55 = 110 MW की इस परियोजना की प्रथम इकाई 28 मई , 2018 को तथा दूसरी इकाई 21 मई, 2018 को पूर्ण हुई।

ट्यूरियल जल विद्युत परियोजना, मिजोरम-

2x30 = 60 MW क्षमता वाली नीपको द्वारा ट्यूरियल नदी पर स्थापित यह परियोजना 16 दिसम्बर, 2017 को राष्ट्र को समर्पित की गई, जो मिजोरम में स्थापित सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।

सरदार सरोवर परियोजना ( नवागाम, गुजरात )- 

इस परियोजना की क्षमता 1450MW है। इस बाँध की योजना मुम्बई के. इंजीनियर जमशेदजी एम. वाच्छा ने बनाई। इसकी नींव प्रधानमंत्री नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 को रखी थी। बाँध की लम्बाई 1210 मीटर व ऊँचाई 163 मीटर होगी। इस परियोजना की ऊँचाई के संबंध में मध्यप्रदेश व गुजरात सरकार के मध्य विवाद के कारण नर्मदा जल विवाद ट्रिब्यूनल का अक्टूबर, 1969 में गठन किया गया था। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई 121.91 मीटर से 138.68 मीटर करने की अनुमति 12 जून, 2014 को दे दी है। प्रधानमंत्री ने इसका लोकार्पण 17 सितम्बर, 2017 को किया। संचालक सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड। इस बाँध के पास सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊँची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' भी स्थापित की गई है, जो विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है।

पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना, नेपाल - 

इसकी क्षमता कुल 5040 MW है। इस परियोजना का विकास फरवरी, 1996 में भारत व नेपाल के मध्य हुई महाकाली संधि के तहत पंचेश्वर विकास प्राधिकारण, नेपाल द्वारा किया जायेगा। इस परियोजना में महाकाली | नदी के दोनों किनारों पर पंचेश्वर में 2400-2400 मेगावाट के दो विद्युत गृह व रुपालीगढ़ में नदी के दोनों किनारों पर 120-120MW के विद्युत गृह स्थापित होंगे।

अरुण-3 जल विद्युत परियोजना, नेपाल सांखुवासभा जिला, नेपाल - 

इसकी क्षमता कुल 4x225 = 900 MW है। 2 मार्च, 2008 को SJVN व नेपाल सरकार के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे।  यह SJVN अरुण-3 पॉवर डेवलपमेंट कम्पनी प्रा. लिमिटेड द्वारा स्थापित होगी। 25 नवम्बर, 2014 को SJVNL व इन्वेस्टमेंट बोर्ड ऑफ नेपाल के बीच Project Development Agreement पर हस्ताक्षर किये गये। अरुण नदी (कोसी की सहायक नदी) पर इस परियोजना का 12 मई , 2018 को श्री नरेन्द्र मोदी व नेपाल के प्रधानमंत्री श्री के.पी. शर्मा ओली ने संयुक्त रूप से शिलान्यास किया।

अपर करनाली जल विद्युत परियोजना, नेपाल - 

इसकी कुल क्षमता 900 MW है। इस परियोजना से नेपाल, भारत व बांग्लादेश को विद्युत प्राप्त होगी। करनाली नदी पर GMR Upper Karnali Pvt. Ltd. द्वारा इस परियोजना के संबंध में 24 जनवरी, 2008 को एमओयू हुआ। इसके लिए PDA (Project Development Agreement) 19 सितम्बर, 2014 को हस्ताक्षरित हुआ।

संकोश जल विद्युत परियोजना, केराबड़ी गाँव भूटान - 

इसकी कुल क्षमता 2584.99 MW है। यह परियोजना भूटान व भारत के सहयोग से निर्मित की जाएगी (संकोच नदी को भूटान में मो चू भी कहा जाता है।) । संकोश नदी 214 किमी भूटान में तथा 107 किमी भारत में बहती है।

चुखा जल विद्युत परियोजना, चुखा जिला, भूटान- 

इसकी कुल क्षमता 336 MW है। Druk Green द्वारा इसे 1986- 88 के दौरान कमीशन किया गया। वांगचू नदी पर निर्मित्त चुखा परियोजना से अधिकांश विद्युत भारत को प्राप्त होती है। चुखा परियोजना के संबंध में भारत ने भूटान से 23 मार्च, 1974 को समझौता किया था। चुखा जल विद्युत संयंत्र भूटान का सबसे पुराना मेगा पावर प्लांट है। चुखा से भारत में पं. बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, सिक्किम व दामोदर वैली निगम को बिजली प्राप्त होती है।

करिछु जल विद्युत परियोजना, भूटान- 

इसकी कुल क्षमता 60 MW है। करिछु नदी पर Druk Green Power Corp. Ltd. द्वारा 2001-02 में कमीशन ।  इससे पूर्वी भूटान व भारत को बिजली प्राप्त होती है। करिछु परियोजना की एक महत्वपूर्ण विशेषता Fish Ladder for Migration of Fish है।

ताला जल विद्युत परियोजना चुखा, पश्चिमी- भूटान, भूटान- 

इसकी कुल क्षमता 1020 MW है। वांगचू नदी पर Druk Green द्वारा 2006-07 में कमीशन। ताला परियोजना से समस्त विद्युत भारत को प्राप्त होती है। भारत से समस्त वित्तीय प्रबंधन। यह वर्तमान में भूटान की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है 

बुनाखा जल विद्युत परियोजना, भूटान - 

इसकी कुल क्षमता 180 MW है यह बुनाखा जलाशय पर भूटान में स्थापित होगी। भारत ने इसके लिए 25 जून, 2010 को समझौता किया है। 

खोलोंगचू जल विद्युत परियोजना बुनाखा, भूटान- 

इसकी कुल क्षमता 600 MW है इसके लिए भारत व भूटान के मध्य 22 अप्रैल, 2014 को समझौता हुआ। यह खोलोंगचू नदी पर खोलोंगचू हाइड्रोएनर्जी लिमिटेड द्वारा निर्मित्त की जा रही है।

FAQ

भारत में सबसे पुरानी नदी घाटी परियोजना है
Ans - दामोदर घाटी परियोजना

दामोदर घाटी परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है 
Ans - यह  5 राज्यों की संयुक्त परियोजना है – पंजाब, हरियाणा राजस्थान, दिल्ली तथा हिमाचल प्रदेश।

स्वतंत्र भारत की पहली नदी घाटी परियोजना कौन सी है?
Ans - 7 जुलाई, 1948 को स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में 'दामोदर नदी घाटी' परियोजना अस्तित्व में आई।

मयूराक्षी परियोजना कहाँ है?
Ans - पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और वीरभूमि ज़िले की भयंकर बाढ़ से निपटने के लिए निर्माण की गयी

नदी घाटी क्या है?
Ans - घाटी दो (या अधिक) पहाड़ो के बीच का गहरा भाग है, आमतौर पर इनमें नदी का प्रवाह पाया जाता है।

दंडकारण्य परियोजना कौन सी नदी पर है?
Ans - पंचेत बांध परियोजना यह दामोदर नदी में स्थित है। यह झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों को लाभान्वित करती है। शरावती परियोजना यह शरावती नदी जो कर्नाटक में स्थित है। दंडकारण्य परियोजना यह हंसदेव नदी स्थित है और उड़ीसा और मध्यप्रदेश राज्यों को लाभान्वित करती है।

मध्य प्रदेश की पहली नदी घाटी परियोजना कौन सी है?
Ans - चंबल नदी परियोजना

 note - यह मध्यप्रदेश पर राजस्थान की संयुक्त परियोजना है इसका प्रारंभ 1954 में शुरू हुआ ।

जय कबाड़ी परियोजना?
Ans - जायकवाड़ी परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना में महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में जायकवाड़ी गाँव के निकट गोदावरी नदी पर बाँध बनाया गया है।

बांध परियोजना क्या है?
Ans - बांध नदी के जल के प्रवाह को रोकने का एक अवरोध है और इसके पानी को बिजली और कई अन्य कामों के लिए उपयोग किया जाता है। बांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी ओर मिट्टी से किया जाता है। बांधों का उपयोग सिंचाई, पीने का पानी, बिजली बनाने तथा पुनः सृजन के लिए जल भण्डारण के रूप में किया जाता है।

बिहार की सबसे पुरानी और सबसे पहले सिंचाई परियोजना कौन सी है?
Ans - त्रिवेणी नहर 377 किमी लंबाई की नहर का नि‍र्माण गंडक नदी पर बाँध बनाकर किया गया है जो पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण के 85,980 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है।


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Name of The Book : *Bharat Ke Nadi Ghati Pariyojana in Hindi PDF* 
Document Format: PDF 
Total Pages: 11 PDF 
Quality: Normal PDF 
Size: 2 MB 
Credit: S. R. Khand


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