Rajasthan ki Prachin Sabhyata PDF - राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ

Rajasthan ki Prachin Sabhyata PDF - राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ के बारे में पूरी जानकारी आप को इस पोस्ट में मिल जाये गी 
Rajasthan ki Prachin Sabhyata PDF Download in Hindi - दोस्तों आज Rajgk आपके लिये Rajasthan GK in Hindi me Rajasthan ki Prachin Sabhyata PDF share कर रहे है, जो की General Knowledge (सामान्य ज्ञान) से सम्बंधित है. इस PDF Ebook में  Rajasthan ki Prachin Sabhyata का  सामान्य ज्ञान आपको पढने को मिलेगा.
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हड़प्पा सभ्यता/सिंधु घाटी सभ्यता के टीलों की और सर्वप्रथम 1826 ईं. में चार्ल्स मैसन ने ध्यान आकर्षित किया ।
हड़प्पा सभ्यता के टीलों से प्राप्त ईटों का प्रयोग 1856 ईं. में जॉन बर्टन व विलियम बर्टन ने लाहोर से कराची रेलवे लाइन बिछाने में किया ।
अलेवजेण्डर कनिंघम ने हड़प्पा के टीलों का सर्वेक्षण 1853 व 1856 ईं. में किया ।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1861 ईं. में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई । इसलिए इन्हें भारत में पुरातत्व का जनक कहा जाता है ।
राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य सर्वप्रथम ( 1871 ईं. ) प्रारम्भ करने का श्रेय ए.सी.एल॰ कार्लाईल को दिया जाता है
लॉर्ड कर्जन के काल में 1902 ईं. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का पुर्नगठन किया गया । जॉन मार्शल ने इस विभाग में 1902 से 1928 ईं. तक महानिदेशक पद पर कार्य किया 
जॉन मार्शल के निर्देशन पर दयाराम साहनी के नेतृत्व में 1921 ईं. में हड़प्पा स्थल का सर्वप्रथम खोज की गई ।
विधिवत् रूप से सिंधु घाटी सभ्यता की घोषणा 1924 ई. में लंदन वीकली नामक समाचार पत्र में सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने लंदन में की ।

स्वतंत्रता के बाद उत्खनित किया गया प्रथम स्थल रंगपुर था । जिसका उत्खनन 1952 ई. में रंगनाथ राय ने किया तथा रंगपुर की खोज स्वतंत्रता पूर्व ही 1933 ई में माधोस्वरूप वत्स ने की थी ।

कालीबंगा सभ्यता

  • स्थिति - हनुमानगढ़
  • इस स्थान की पहचान डॉ एल पी टैस्सीटोरी ने की थी
  • यह स्थल घग्घर (प्राचीन सरस्वती) नदी के किनारे पर स्थित है
  • खोजकर्ता - अमलानंद घोष 1952
  • कालीबंगा को हडप्पा सभ्यता की तृतीय राजधानी कहा जाता है
  • उत्खनन बी. बी. लाल व बी के. थापर 1961 में किया 
  • हड़प्या की दीनहीन बस्ती कालीबंगा को कहा जाता है
  • कालीबंगा का अर्थ काली चूड़ियाँ है
  • स्वतंत्रता के बाद भारत में खोजा गया प्रथम हड़प्पाई स्थल रोपड़ (पंजाब) -1950 ई है

 कालीबंगा से प्राप्त वस्तुऐं

  1. मिट्टी की बैलगाडी
  2. ताम्र वृषभ ( सांड) प्रतिमा ( राजस्थान में धातु प्रतिमा का प्राचीनतम उदाहरण)
  3. भूकप के साक्ष्य
  4. अग्नि वेदिकाऐ ( यज्ञकुंड)
  5. हल की लकीरें (प्राचीनतम जुते खेत )
  6. जाल पद्धति कृषि व्यवस्था (एक खेत में एक ही समय दो  दिशाओ में दो भिन्न फसलें )
  7. हड़प्पाई लिपि युक्त मृदमांड
  8. लकडी की नालियाँ
  9. शंख की चूडियाँ हाथी दांत की कंघी
  10. तौल के बाट
  11. कांस्य दर्पण
  12. ताम्र पिन
  13. ताम्र चाकू
  14. हड्डी की सलाईंया
  15. बेलनाकार मेसोपोटामियाई मुहर
  16. मकानों मे कच्ची ईटों का प्रयोग

गणेश्वर सभ्यता

  • स्थिति - नीमकाथाना (सीकर)
  • नदी - काँत्तली के पास 
  • समय 2800 ईसा पूर्व से 2200 ईसा पूर्व
  • खोज व उतखननकर्ता - आर सी. अग्रवाल

प्रसिद्ध

  • सबसे प्राचीन ताम्र-युगीन सभ्यता
  • सर्वाधिक शुद्ध ताम्र-उपकरण प्राप्त

अन्य नाम

  • ताम्र युगीन सभ्यताओं की जननी
  • पुरातत्त्व का पुष्कर

गणेश्वर सभ्यता से प्राप्त वस्तुऐं 

  1. 400 बाणाग्र
  2. 58 कुल्हाडियाँ
  3. 50 मछली पकडने के कांटे

आहड सभ्यता

  • स्थिति - उदयपुर
  • नदी - बनास बेडच
  • खोजकर्ता - अक्षयकीर्ति व्यास 1953
  • उत्खननकर्ता - H C सांकलिया, R C अग्रवाल

अन्य नाम

  • बनास संस्कृति
  • धूलकोट
  • ताम्रवती नगरी
  • यह सभ्यता सर्वाधिक मात्रा मे ताम्र उपकरणो के कारण प्रसिद्ध है

आहड सभ्यता प्राप्त वस्तुऐ

  • मकानों की नीवो में पत्थरों का प्रयोग
  • तांबा गलाने की भट्टियाँ
  • कपड़े की छपाई हेतु लकडी के बने ठप्पे
  • ईरानी शैली के छोटे हत्थेदार बर्तन
  • हड्डी का चाकू
  • सिर खुजलाने का यंत्र
  • मिट्टी का तवा
  • सुराही
  • एक मकान में 7 चूल्हे एक पंक्ति में
  • टेराकोटा निर्मित 2 स्त्री धड़

बैराठ सभ्यता

  • स्थिति - जयपुर
  • नदी - बाणगंगा
  • खोज - दयाराम साहनी, सुंदर राजन, ए. घोष, के. एन.दीक्षित
  • अशोक का भाब्रू शिलालेख विशेषता राजस्थान में बौद्ध संस्कृति का प्रमुख केन्द्र बुद्ध प्रतिमा युक्त स्वर्ण मंजूषा
  • हूण आक्रमणों का साक्षी
  • सूती वस्त्र अवशेष इण्डोग्रीक नरेश मिनाण्डर से संबधित क्षेत्र
  • नाचते पक्षी की मृण्मूर्ति छठी शताब्दी ई पू. में मत्स्य महाजनपद की राजधानी
  • ह्वेसांग ने बैराठ की यात्रा करके 'पारयात्र' नाम प्रदान किया ।

गिलुण्ड सभ्यता

  • गिलुण्ड सभ्यता राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित है ।
  • गिलुण्ड सभ्यता ग्रामीण संस्कृति थी तथा बनास व आहड़ संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थल है । इसलिए इसे ताम्रयुगीन सभ्यता कहते है ।
  • गिलुण्ड सभ्यता का उत्खनन 1957 - 58 ईं. में ब्रजवासी लाल द्वारा किया गया ।
  • गिलुण्ड सभ्यता से 100×80 आकार के विशाल भवनों के अवशेष मिले है ।
  • गिलुण्ड सभ्यता से लाल व काले मृदभाण्ड संस्कृति के अवशेष भी प्राप्त हुए है ।
  • गिलुण्ड सभ्यता से मिले मृदंभाण्डो पर सफेद व काले रंग से चित्रित चिकतेदार हरिण उत्कीर्ण पाये गये है 

बालाथल सभ्यता

  • बालाथल सभ्यता उदयपुर नगर से 42 किमी दक्षिण-पूर्व में वल्लभनगर तहसील उदयपुर में स्थित है । बालाथल ग्राम के पूर्वी छोर पर पाँच एकड में फैला एक टीला है जो बेडच नदी के किनारे स्थित है।
  • इस सभ्यता की खोज 1962-63 मे हुई तथा उत्खनन वी एन मिश्र के नेतृत्व मे मार्च 1993 ईं० में डॉ वी एस शिंदे डा आर के मोहन्ते तथा डॉ॰ ललित पाण्डेय के द्वारा की गई ।
  • बालाथल के उत्खनन में 22 परतों की पहचान की गई है प्रथम चार स्तर ऐतिहासिक युगीन भण्डार है तथा शेष ताम्र-पाषाणयुगीन भण्डार है
  • बालाथल की ताम्र पाषाणयुगीन सभ्यता के मध्य भाग का समय 2350 ई पू के आसपास का माना जाता है ।

ओझियाना सभ्यता

  • भीलवाड़ा के बदनोर के पास ओझियाना सभ्यता कोठारी नदी पर स्थित है । यह सभ्यता आहड़ संस्कृति या बनास संस्कृति का ताम्रपाषाणिक स्थल है ।
  • ओझियाना सभ्यता का उस्खनन 2000 ईं. में वी आर. मीणा व आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में किया गया ।
  • ओझियाना सभ्यता के उरुखनन के दौरान पुरातात्विक सामग्री के आधार पर इस सभ्यता को तीन चरणों में बाँटा जा सकता है
  1. कृषक 
  2. भवन निर्माण के आधार 
  3. मृदभांड को पकाने की विधि के आधार पर ।
  • ओझियाना सभ्यता से सफेद बैल की मृण मूर्तियों को ओझियाना बुल्स नाम दिया गया है ।
  • ओझियाना सभ्यता का कालखण्ड 2000 ईं पू॰ से 1500 ई पू के लगभग माना जाता है ।

बागौर सभ्यता

  • बागौर सभ्यता भीलवाड़ा में कोठारी नदी के किनारे स्थित है ।
  • इस सभ्यता का उत्खनन कार्य 1967-69 ईं. में वी एन. मिश्र तथा डॉ. एल. एस. लैशनि (जर्मनी ) के निर्देशन में संयुक्त रूप से किया गया ।
  • बागौर सभ्यता से प्रागैतिहासिक कालीन भारत के सर्वाधिक प्राचीन पशुपालन के अवशेष मिलते है ।
  • बागौर से 14 प्रकार के सर्वाधिक कृषि किये जाने के अवशेष मिले है ।
  • यहां से प्राप्त प्रस्तर उपकरण अभी भी सुन्दर अवस्था में मौजूद है तथा पर्याप्त मात्रा में है, इसलिए इसे आदिम संस्कृति का सग्रहालय भी कहते है ।
  • यहां पर भारत का सबसे सम्पन्न पाषाणीय सभ्यता स्थल स्थित है । बागौर में ज्यादातर पत्थर के उपकरण मिले है ।
  • हस्त व कुठार इस सभ्यता के लोगों के प्रमुख हथियार थे ।
  • यहाँ के लोग स्वास्तिक के चिह्न का प्रयोग करते थे तथा यहाँ से मछली मारने, शिकार करने ,चमडा सिलने व छेद निकालने के औजार प्राप्त हुए है ।
  • यहां पर हाथ व कान के आभूषण कांच के बने हुए मिले है ।

नगरी सभ्यता

  • नगरी सभ्यता स्थल चित्तौड़गढ में बेड़च नदी के किनारे स्थित है । नगरी शिवी जनपद की राजधानी थी, जिसे प्राचीनकाल में मध्यमिका या मेदपाट कहा जाता था ।
  • नगरी स्थल से 1887 ई में वीर विनोद के रचयिता कवि राजा श्यामलदास ने घोसुण्डी के शिलालेख व हाथी बरकला के शिलालेखों की खोज की थी ।
  • नगरी सभ्यता स्थल का उत्खनन 1904 ईं. में डी. आर. भंडारकर व 1962-63 ईं. में केन्दीय पुरातत्व विभाग द्वारा किया गया । नगरी सभ्यता के उत्खनन के दौरान शिवी जनपद के सिक्के मिले है ।
  • नगरी सभ्यता से चार चक्राकार कुएँ ( Ring wells ) मिले हैं । नगरी सभ्यता में गुप्तकालीन कला के अवशेष मिले है ।

नोह सभ्यता 

  • नोह सभ्यता भरतपुर जिल में रूपारेल नदी के किनारे पर स्थित हैं ।
  • नोह सभ्यता का उत्खनन 1963-67 ईं. के बीच राजस्थान पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के रत्तन चंद्र अग्रवाल व केलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डॉ. डेविडसन के संयुक्त निर्देशन में किया गया ।
  • नोह सभ्यता के उत्खनन में पाँच सांस्कृतिक युगों के अवशेष मिलते है । नोह सभ्यता में महाभारत काल से लेकर शक, कुषाणकालीन व मौर्यकालीन अवशेष प्राप्त हुए है । 
  • मृदभांड PGW चित्रित धूसर /गेरू रंग के व इससे पूर्व के (RBC) लाल व काले मृदभांड मिले है । नोह सभ्यता में पक्षी चित्रित इटे मिली है । नोह सभ्यता से दूसरी शताब्दी ईं .पू. की विशालकाय 1.5 मीटर ऊंची यक्ष की मूर्ति मिली है, जो शक कालीन है । इस मूर्ति को जोख बाबा की मूर्ति भी कहते है ।

चन्द्रावती सभ्यता, सिरोही

  • चन्द्ररवती सभ्यता सिरोही जिले के माउंट आबू के निकट खोजी गई है । यह स्थल 11वीं शताब्दी में परमारों के राज्य की राजधानी रही थी ।
  • चंद्रावती से विकास के तीन स्तर प्राप्त हुए है, इनमें पहला छठी से आठवीं सदी का, दूसरा नोवीं से दसवीं सदी का और तीसरा ग्यारहवीं से पन्दहवीं सदी का ।
  • चंद्रावती सभ्यता के उत्खनन के दौरान गरूड़ासन्न विष्णु की प्रतिमा मिली है, जो दुनिया में अपने प्रकार की इकलौती प्रतिमा है ।
  • चंद्रावती के बारे में कहा जाता है कि इनके पत्थरों को बजाने पर उनमें से जो आवाजें होती है । वह यहाँ की आरती है ।
  • चंद्रावती विशाल मंदिरों का शहर भी कहा जाता है ।
  • कर्नल टॉड ने इस नगरी को देखा था तथा मैडम विलियम हंटर ब्लेयर ने चंद्रावती में अपनी यात्रा के दौरान खींचे विभिन्न चित्रों को कर्नल टॉड की पुस्तक ट्रेवल इन वेस्टर्न इंडिया के लिए उपलब्ध करवाया । इसलिए कर्नल जेम्स टॉड ने अपने यात्रा वृतांत ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इंडिया को मैडम विलियम हंटर ब्लेयर को समर्पित किया
  • जिसमें चन्दावती की भव्य नगरी का उल्लेख किया है ।

नालियासट सभ्यता

  • यह सभ्यता सांभर ( जयपुर ) में स्थित है । यहाँ पर चौहान युग से पूर्व की जानकारी मिलती है । नालियासर में प्रतिहार कालीन मंदिर के अवशेष मिले है ।

जोधपुरा सभ्यता

  • यह सभ्यता जयपुर में स्थित है ।
  • जोधपुरा में शुंग व कुषाण कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है । जोधपुरा में डिश आन स्टैण्ड भी मिला है ।
  • जोधपुरा में लौहा प्राप्त करने की भाट्टियां मिली है ।

आर्य सभ्यता

  • इस सभ्यता की खोज श्रीगंगानगर के अनुपगढ एवं तरखान वाला डैरा नामक स्थान पर की गई ।

सोंथी सभ्यता

  • वह सभ्यता बीकानेर में स्थित है । इस सभ्यता की खोज 1953 ईं. में ए॰घोष के द्वारा की गई इस सभ्यता को कालीबंगा प्रथम के नाम से भी जाना जाता है ।

ओला सभ्यता

  • यह सभ्यता जैसलमेर में स्थित है ।
  • यहाँ पर पाषाणयुगीन कुल्हाडी मिली है ।

तिलवाड़ा सभ्यता

  • यह सभ्यता बाडमेर में स्थित है । यह सभ्यता स्थल लूणी नदी के किनारे स्थित है । यहाँ पर पशुपालन सम्बन्धी प्राचीनतम साक्ष्य मिले है ।

भीनमाल सभ्यता

  • यह सभ्यता स्थल जालौर में स्थित है । यहाँ पर मृदपात्रों पर रोमन एम्फोरा के अवशेष मिले है ।

ईसवाल सभ्यता

  • यह सभ्यता उदयपुर में स्थित है । ईसवाल में लौहकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है ।

जहाजपुर सभ्यता भीलवाड़ा

  • यहाँ महाभारत कालीन अवशेष मिले है । 

तिपटिया सभ्यता

  • यह सभ्यता कोटा में स्थित है । कोटा के दर्रा वन्य जीव अभ्यारण्य में यह स्थल स्थित है ।
  • यहाँ पर प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र मिले है ।

कोटड़ा सभ्यता

  • यह सभ्यता स्थल झालावाड में स्थित है ।
  • यहाँ पर खुदाई में दीपक शोध संस्थान मिले है ।

आलनियाँ सभ्यता

  • आलनियाँ सभ्यता वर्तमान में कोटा जिले में स्थित है
  • राजस्थान में आलनियाँ के प्रागैतिहासिक शैलचित्रों की खोज डॉ जगतनारायण ने की ।

ढंढीकर सभ्यता

  • यह सभ्यता स्थल अलवर में स्थित है । इस सभ्यता में पाषागाकालीन शैल चित्र मिले है

गुराटरा सभ्यता

  • गुरारा सभ्यता सीकर में स्थित है । यहाँ पर 2744 चांदी क्रं पंचमार्क सिक्के मिले है ।

सुजारी सभ्यता (झुंझुनू)

  • यह कांतली नदी के किनारे स्थित है । यहाँ से एक लोहे का प्याला प्राप्त हुआ है ।

रंगमहल सभ्यता

  • यह सभ्यता हनुमानगढ में स्थित है ।
  • रंगमहल सभ्यता घग्घर नदी के किनारे स्थित है ।
  • 1952 ईं. में रंगमहल का उत्खनन स्वीडीश एक्सपीडिशन दल के नेतृत्व में डॉ. हन्नारिड़ने किया ।
  • यहाँ से हड़प्पा सभ्यता व कुषाण कालीन तथा पूर्व गुप्तकाल के अवशेष मिलते है । जो प्रथम शताब्दी ईसापूर्व से 300 ई. तक के है । कनिष्क प्रथम व कनिष्क तृतीय की मुद्रा व पंचमार्क सिक्के मिले है । रंगमहल में 105 तांबे के सिक्के मिले है ।
  • मृदभांड घंटाकार व टोंटीदार घड़े ( लाल व गुलाबी रंग के ) मिले है ।
  • यहाँ पर मिली मूर्तियाँ गंधार शैली की प्राप्त होती है ।
  • रंगमहल में गुरू-शिष्य की मूर्तियां मिली है ।

रेढ़ सभ्यता

  • रेढ़ सभ्यता ढील नदी के किनारे, निवाई तहसील , टोंक में स्थित है ।
  • उत्खनन 1938-40 ईस्वी के एम. पुरी ( केदारनाधपुरी ) ।
  • यहां पर लोह सामग्री का विशाल भंडार मिला है ।
  • रेढ़ को प्राचीन भारत का टाटा नगर के उपनाम से जाना जाता है  एशिया में सिक्कों का सबसे बड़ा भंडार यही पर मिला है ।
  • रेढ़ में पूर्व गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है ।

नगर सभ्यता

  • नगर सभ्यता टोंक के उणियारा कस्बे में स्थित है । उणियारा को प्राचीन काल में मालव नगर के नाम से जाना जाता था ।
  • यहाँ पर मालव व आहत मुद्रा मिली है ।

गरड़दा सभ्यता

  • यह सभ्यता बुंदी में स्थित है ।
  • गरड़दा छाजा नदी के किनारे स्थित है ।
  • गरड़दा में पहली बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग ( शैल चित्र ) मिली है ।
  • पक्षी पर सवार व्यक्ति का चित्र भी मिला है 

Rajasthan ki Prachin Sabhyata PDF Details

Name of The Book : *Rajasthan ke Durg PDF in Hindi*
Document Format: PDF
Total Pages: 8
PDF Quality: Normal
PDF Size: 2 MB
Book Credit: S. R. Khand

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1 Comments

  1. Content bhut acha hai.. kis book se liya hai.. plz book name bataye.. meri perpation me help kregi

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