Rajasthan ke mele Part 1 | क्षेत्र व जाति विशेष मेले

क्षेत्र व जाति विशेष मेले

Rajasthan ke mele Part 1 क्षेत्र व जाति विशेष मेले

कपिलमुनि का मेला

  • जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला कपिलमुनि का मेला कोलायत (बीकानेर) में लगता है ।
  • यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को लगता है ।
  • हिन्दू-सिक्ख धर्म का सबसे बडा मेला कपिलमुनि का मेला कोलायत (बीकानेर) में लगता है ।

रामदेवरा मेला

  • मारवाड़ प्रदेश का सबसे बडा मेला रामदेवरा मेला (बाबा रामदेव जी का मेला) पोकरण (जैसलमेर) में लगता है ।
  • यह मेला भाद्र शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक लगता है ।
  • साम्प्रदायिक सद्भाव का सबसे बड़ा मेला रामदेवरा मेला जैसलमेर में लगता है ।

ऋषभदेव जी का मेला

  • हिन्दु-जैन सद्भाव का सबसे बड़ा मेला ऋषभदेव जी का मेला थुलेव (उदयपुर) में लगता है ।
  • यह मेला चैत्र कृप्या अष्टमी-नवमी को लगता है ।
  • धुलेव (उदयपुर) में जैन तीर्थकर ऋषभदेव जी की काले पत्थर की मूर्ति है ।

बेणेश्वर का मेला

  • वागड प्रदेश का सबसे बड़ा मेला बेणेश्वर का मेला नवाटापुरा (डूंगरपुर) में लगता है ।
  • बैणेश्वर मेला माघ शुक्ल एकादशी से माघ शुक्ल पूर्णिमा तक भरता है ।
  • बैणेश्वर नामक शिवलिंग पर आधारित है । यह शिवलिंग  स्वयं अद्भुत माना गया है ।
  • यह मेला आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है । 
  • बेणेश्वर के मेले को बागड प्रदेश का पुष्कर तथा आदिवासियों का कुंभ भी कहा जाता है ।
  • बैणेश्वर मेला डूंगरपुर जिले में बैणेश्वर के नवाटापुरा नामक स्थान पर सोम-माही-जाखम नदियों के संगम पर शिवलिंग की पूजा हेतु लगता है ।
  • आदिवासी जातियों में यह मेला मुख्यत भील जनजाति है इस मेले में मुख्यत डूंगरपुर, बांसवाडा जिले के लोग भाग लेते है ।
  • इस मेले को जनजातियों का लोक मेला के नाम से भी जाना जाता है ।
  • वेणेश्चर नामक स्थान पर राजा बलि की यज्ञ स्थली है ।

सीताबाडी का मेला

  • हाड़ौती प्रदेश का सबसे बडा मेला सीताबाडी का मेला शाहबाद (बारां) में लगता है
  • यह मेला ज्येष्ठ माह को अमावस्या को लगता है ।
  • सीताबाडी का मेला सहरिया जनजाति का कुंभ मेला माना जाता है ।
  • यह मेला हाड़ौती अंचल का सबसे बड़ा मेला है 
  • सीताबाडी में सात कुण्ड है ।

महावीर जी का मेला

  • जैनियों का सबसे बड़ा मेला महावीर जी का मेला (करौली) में लगता है।
  • यह मेला चैत्र शुक्ल 13 से बैशाख कृष्ण 2 तक लगता है इस मन्दिर का चढावा चमार जाति के लोग लेते है तथा रथ यात्रा के समय चर्मकार के वशजों का हाथ लगवाना पहली परम्परा है।

भर्तृहरि का मेला

  • मत्स्य प्रदेश का सबसे बडा मेला भर्तृहरि का मेला अलवर में लगता है ।
  • यह मेला भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को लगता है ।
  • यहाँ पर भर्तृहरि का समाधि स्थल स्थित है ।

साहवा का मेला

  • सिक्ख धर्म का सबसे बडा मेला साहवा का मेला साहवा (चूरू) में लगता है ।
  • यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को लगता है ।
  • साहवा गुरूद्वारे के साथ नानक देव एवं गुरूगोविन्द सिंह के आने एवं रहने की स्मृतियां जुडी हुई है ।

षुष्कर का मेला

  • मेरवाड़ा प्रदेश का सबसे बडा मेला षुष्कर का मेला पुष्कर (अजमेर) में लगता है ।
  • यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को लगता है ।
  • पुष्कर मेले को राजस्थान का रंगीला मेला कहा जाता है ।
  • विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला पुष्कर अजमेर में लगता है पुष्कर मेले में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक आते है ।
  • इस मेले में ऊँटों की सर्वाधिक बिक्री होती है ।

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