राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले - राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक राणा कुम्भा को माना जाता है । मुगल काल में राजस्थान की स्थापत्य कला पर मुगल शैली का प्रभाव पडा । हिन्दू कारीगरों ने मुस्लिम आर्दशों के अनुरूप जो भवन बनाए, उन्हें सुप्रसिद्ध कला विशेषज्ञ फर्ग्युसन ने इंडो-सारसेनिक शैली की संज्ञा दी है ।
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले - Rajasthan ke Durg in Hindi
![]() |
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले |
- जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह (प्रथम) को हिन्दुषत् कहा जाता था क्योंकि उनकी रूचि स्थापत्य कला में थी ।
- महाराणा कुम्भा स्वयं शिल्पशास्त्री मंडन द्वारा वास्तुकला पर रचित साहित्य से प्रभावित था ।
15वीं शताब्दी में मेवाड़ के शिल्पी मंडन ने पाँच ग्रन्थ लिखें , जो निम्नलिखित थे
- प्रसाद मंडन - इसमें देवालय निर्माण के निर्देश दिये गये है ।
- रूपावतार मंडन - इसमें मूर्तियों के निर्माण सम्बन्धी निर्देश दिये गये है ।
- रूप मंडन - इसमें भी मूर्ति निर्माण सम्बन्धी सामग्री दी हुई है ।
- गृह मंडन - इसमें सामान्य व्यक्तियों के गृह, कुआँ, बावडी, तालाब महल आदि के निर्माण सम्बन्धी सामग्री दी हुई है ।
- वास्तुकार मंडन - इसमें विविध तत्वों से सम्बन्धित वर्णन है ।
- मंडन के निर्देशन में ही चित्तौड़ के कीर्ति स्तम्भ का निर्माण किया गया ।
शुक्रनीति के अनुसार राज्य को यदि शरीर मान लिया जाता तो दुर्ग को शरीर के प्रमुख अंग हाथ की संज्ञा दी जाती है। शुक्रनीति के अनुसार, राज्य के सात अंग बताए गए हैं इनमें दुर्ग भी एक अंग है। (i) स्वामी / राजा (ii) आमात्य (iii)सुहृत / गुप्तचर (iv) कोष (v) राष्ट्र (vi) दुर्ग (vii) सेना
Trick- 'पा ए पा व धन गिरि सहाय सैन्य दुर्ग'
शुक्र नीति में राजस्थान के दुर्गों का 9 तरह से वर्गीकरण किया गया जो निम्नलिखित प्रकार से है
- एरन दुर्ग - यह दुर्ग खाई, काँटों तथा कठोर पत्थरों से निर्मित होता हैं । उदाहरण - रणथम्भीर दुर्ग, चित्तौड़ दुर्ग ।
- धान्वन (मरूस्थल) दुर्ग - ये दुर्ग चारों ओर रेत के ऊँचे टीलों से घिरे होते है । उदाहरण - जैसलमेर, बीकानेर व नागौर के दुर्ग ।
- औदक दुर्ग (जल दुर्ग) - ये दुर्ग चारों ओर पानी से घिरे होते है । उदाहरण - गागरोण (झालावाड), भैंसरोड़गढ़ दुर्ग (चित्तोंड़गढ़) ।
- गिरि दुर्ग - ये पर्वत एकांत में किसी पहाडी पर स्थित होता है तथा इसमे जल संचय का अच्छा प्रबंध होता है । उदाहरण - कुम्भलगढ़, मांडलगढ़ (भीलवाडा), तारागढ़ (अजमेर), जयगढ़, नाहरगढ़ (जयपुर) , अचलगढ (सिरोही), मेहरानगढ (जोधपुर) ।
- सैन्य दूर्ग - जो व्यूह रचना में चतुर वीरों से व्याप्त होने से अभेद्य हो ये दुर्ग सर्वश्रेष्ठ समझे जाते है ।
- सहाय दुर्ग - जिसमें वीर और सदा साथ देने वाले बंधुजन रहते हो ।
- वन दुर्ग - जो चारों और वनों से ढका हुआ हो और कांटेदार वृक्ष हो । जैसे सिवाना दुर्ग, त्रिभुवनगढ़ दुर्ग रणथम्भौर दुर्ग ।
- पारिख दुर्ग -वे दुर्ग जिनके चारों और बहुत बडी खाई हो । जैसे लोहागढ़ दुर्ग, भरतपुर ।
- पारिध दुर्ग - जिसके चारों ओर ईट, पत्थर तथा मिट्टी से बनी बडी-बडी दीवारों का सुदृढ परकोटा हो जैसे - चित्तोड़गढ़, कुम्भलगढ़ दुर्ग ।
- महाराणा कुंम्भा ने लगभग 32 दुर्गो का निर्माण करवाया ।
- बीकानेर का जूनागढ़, कोटा का इन्द्रगढ़ जयपुर का आमेर दुर्ग इंडो सार्सेनिक शैली में बने हुए है । किलों की दीवारों पर हमला करने के लिए रेत आदि से बना ऊँचा चबूतरा पाशीब कहलाता हैं ।
- किलों में चमड़े से ढका मोटा रास्ता साबात कहलाता है । राजस्थान में गागरोण और भैंसरोड़गढ़ को जल दुर्गों की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है ।
राजस्थान के दुर्गो पर हुए आक्रमण
दुर्ग
|
आक्रमणकारी
|
भटनेर दुर्ग (1091 ईं)
|
महमूद गजनबी, (1398 ईं (हनुमानगढ) तैमूर, अकबर)
|
रणथम्भीर दुर्ग (1301 ईं॰) में
|
अलाउद्दीन खिलजी।
(सवाईमाधोपुर)
|
गागरोण दुर्ग (1303 ईं.)
|
अलप खाँ महम्मुद खिलजी।
( झालावाड )
|
सिवाणा दुर्ग (बाडमेर) (1308 ईं.)
|
अलाउद्दीन खिलजी
|
शेरगढ़ दुर्ग( धौलपुर) (1500 ईं.
|
बहलोल लोदी
|
चित्तोड़गढ का किला
|
अकबर, अलाउद्दीन खिलजी,
बहादुरशाह
|
जैसलमेर का दुर्ग
|
मोहम्मद बिन तुगलक फिरोजशाह तुगलक,अलाउद्दीन खिलजी
|
सुवर्ण गिरि दुर्ग (जालौर) (1311-12 ईं.)
|
अलाउद्दीन खिलजी
|
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग
![]() |
Rajasthan ke Durg in Hindi |
भटनेर दुर्ग
![]() |
bhatner fort |
- इसका निर्माण तीसरी शताब्दी में हुआ
- यह दुर्ग हनुमानगढ़ जिले में स्थित है
- इस दुर्ग को रेगिस्तान श्रेणी में रखा जाता है
- इस दुर्ग में मुस्लिम महिलाओं का जोहर संपन्न हुआ
- बीकानेर महाराज दलपत सिंह की मूर्ति उनकी रानियों सहित इसी दुर्ग में स्थित है
राजस्थान के सबसे प्राचीन दुर्ग को उत्तरी सीमा का प्रहरी/उत्तरी भड़ किवाड़ हनुमानगढ़ (बीकानेर के शासक सूरतसिंह ने मंगलवार को इस दुर्ग पर अधिकार कर इसका नाम हनुमानगढ़ कर दिया।) आदि नामों से जाना जाता है।
- इसका निर्माण 288 ई. में/तीसरी शताब्दी में घग्घर नदी के मुहाने पर भाटी नरेश भूपत द्वारा करवाया गया। इस दुर्ग पर सर्वाधिक विदेशी आक्रमण हुये।
- यह राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग है।
- तैमूरलंग ने नवम्बर 1398 ई. में भटनेर दुर्ग पर आक्रमण किया था।
- इसके बारे में तैमूर ने अपनी आत्मकथा “तुजुक-ए-तैमूरी" में लिखा है कि “मैंने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पूरे हिन्दुस्तान में कहीं नहीं देखा"।
- इस दुर्ग में शेर खां की कब्र स्थित है।
भरतपुर दुर्ग
- भारतपुर दुर्ग का निर्माण सूरजमल जाट ने करवाया था
- इस दुर्ग को पारीख श्रेणी में रखा जाता है
- भरतपुर को अजय दुर्ग लोहागढ़ आदि नामों से जाना जाता है
- इस दुर्ग की विशेषता है कि यह एक जलभरी खाई से घिरा हुआ है। लोहागढ़ दुर्ग के स्थान पर पूर्व में लुहिया गांव के खेमकरण जाट द्वारा 1708 में एक मिट्टी की गढ़ी बनाई गई, जिसे 'चौबुर्जा' नाम से जाना जाता है।
- इस दुर्ग के निर्माण में कुल 8 वर्ष का समय लगा।
- इस किले के चारों ओर गहरी खाई है। इस खाई में मोती झील से सुजानगंगा नहर द्वारा पानी लाया जाता है।
"हट जा गौरा पाछ न" व "आठ फिरंगी नौ गौरा लड़े जाट का दो छोरा" (यह दो छोरा दुर्जनलाल और माधोसिंह थे) आदि । कहावतें भरतपुर दुर्गा के लिए प्रसिद्ध है।
- इस दुर्ग में जवाहर बुर्ज (दिल्ली विजय पर) व फतेह बुर्ज (1806 में अंग्रेजों पर विजय के उपलक्ष्य में) बनवाये गये।
- इस दुर्ग में अष्ट धातु के किवाड़ लगे हुये। है, जिसे अल्लाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ से उतार कर दिल्ली के झीरी के किले पर वहाँ से शाहजहाँ ने लाल किले पर तथा वहाँ से 1765 ई. में जवाहर सिंह ने इस दुर्ग में लाकर लगा दिया।
इसमें बिहारी मन्दिर व राजेश्वरी माता (भरतपुर वंश की कुल देवी) का मन्दिर है। राजस्थान का एकमात्र किला जिस पर अंग्रेज जनरल लॉर्ड लेक ने पाँच बार चढ़ाई की किन्तु असफल रहा।
चूरू का दुर्ग
![]() |
Churu fort history |
- इसका निर्माण ठाकुर कुशाल सिंह ने किया था
- बीकानेर महाराजा सूरत सिंह के आक्रमण के समय ठाकुर शिव सिंह ने चांदी के गोले बरसाए थे
भैंसरोडगढ़
![]() |
भैंसरोडगढ़ |
- इस दुर्ग का निर्माण भैंसाशाह और रोड़ा चारण ने करवाया था
- यह दुर्ग जल दुर्ग की श्रेणी में आता है
- भैंसरोडगढ़ चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है
- यह दुर्ग चंबल में बामणी नदी के संगम पर स्थित है इसे राजस्थान का वेल्लोर भी कहा जाता है
- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार इस दुर्ग को व्यापारियों की सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता था
मैगजीन किला
![]() |
Magazine fort |
- इस किले का निर्माण अकबर ने करवाया था
- यह किला अजमेर में स्थित है
- इस दुर्ग को अकबर का दौलतखाना भी कहा जाता है
- दुर्ग का निर्माण 1571-72 में हुआ था
- राजस्थान का एकमात्र इस्लामिक पद्धति से बना हुआ दुर्ग मैगजीन किला ही है
- जहांगीर और टॉमस रो के मध्य मुलाकात 10 जनवरी 1616 में इसी दुर्ग में हुई थी
शेरगढ़
- यह दुर्ग बारा जिले में स्थित है
- यह दुर्ग परवन नदी के किनारे पर स्थित है
- इसका निर्माण नागवंशी नरेश ने करवाया था
- यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- इस दुर्ग को कोसवर्धन दुर्ग भी कहा जाता है
- इस दुर्ग का नाम शेरशाह सूरी के नाम पर शेरगढ़ कर दिया गया
चोमूहागढ़
- यह दुर्ग जयपुर में है और इस दुर्ग का निर्माण करण सिंह ने करवाया था
- इस दुर्ग को धाराधारगढ़ और रघुनाथगढ़ भी कहा जाता है
चित्तौड़गढ़
- चित्तौड़गढ़ का निर्माण चित्रांगद मौर्य ने करवाया था
- यह दुर्ग गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- यह दुर्ग गंभीरी और बेडच नदियों के संगम पर स्थित है
- इस दुर्ग को चित्रकूट खिजराबाद और चित्रकूट नाम से भी जाना जाता है
- इसे किलो का सिरमोर भी कहा जाता है
रणथंभौर दुर्ग
- इसका निर्माण सपालदक्ष के चौहान शासक रणथम्भनदेव ने 944 में करवाया।
- यह सवाई माधोपुर में स्थित है
- इस दुर्ग में राजस्थान का प्रथम साका 1301 ई में अलाउद्दीन खिलजी का हमीर देव चौहान पर आक्रमण के समय हुआ तब महारानी रंगा देवी ने जौहर किया था
रणथम्भौर दुर्ग को दुर्गाधिराज व चित्तौड़गढ़ के किले का छोटा भाई के नाम से जाना जाता है, जो हम्मीर की आन-बान व 'शान' का प्रतीक है।
- यह दुर्ग वन दुर्ग व गिरि दुर्ग का श्रेष्ठ उदाहरण है।
इतिहासकार गौरी शंकर हीराचन्द ओझा के अनुसार रणथम्भौर का किला अण्डाकृति वाले एक ऊँचे पहाड़ पर स्थित है अतः इस दुर्ग का आकार अण्डाकार है। इसके चारों ओर की पहाड़ियों को किले की रक्षार्थ किले की दीवार कहा जाता है,
- रणथम्भौर दुर्ग में एक विश्व प्रसिद्ध साका ( इस दुर्ग का पतन) 11 जुलाई, 1301 ई. में हुआ। युद्ध का प्रमुख कारण हम्मीर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मीर मुहम्मद शाह और उसकी मराठा बेगम चिमना को शरण देना रहा।
- इस युद्ध में राणा हम्मीर की उसके सेनापति रतिपाल एवं रणमल द्वारा धोखा देने के कारण पराजय हुई।
- इस युद्ध के समय अलाउद्दीन खिलजी के साथ उनके दरबारी कवि अमीर खुसरो (इस युद्ध का सजीव चित्रण करने वाला) थे।
- हम्मीर को शरणागत वत्सल एवं हठी के रूप में जाना जाता और उसकी प्रशंसा में कहा जाता है कि-
सिंह सुवन सतपुरुष वचन कदली फलै इकबार ।तिरिया तेल हम्मीर हठ चढ़ न दूसी बार।।'
- इस दुर्ग में 32 (बत्तीस) खम्भों की छतरी बनी हुई। इस छतरी का निर्माण हम्मीर देव ने अपने पिता जैतसिंह की स्मृति में करवाया था।
- यह छतरी न्याय की छतरी कहलाती है।
- इस दुर्ग का मुख्य आकर्षण नौलखा दरवाजा, हम्मीर का महल है, जो करौली के लाल पत्थरों से बना हुआ है।
इस दुर्ग में बना सुपारी महल भावनात्मक एकता का जीता जागता उदाहरण है क्योंकि इस महल में एक ही स्थान पर ‘त्रिनेत्र गणेश मन्दिर (यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्ल गणेशचतुर्थी को एक विशाल मेला भरता है), मस्जिद (पीर सदरूद्दीन की दरगाह) व गिरिजाघर' हैं जो हिन्दू-मुस्लिम तथा जैन संस्कृति के समन्वय का अनूठा उदाहरण पेश करते हैं। इस दुर्ग में गणेश मन्दिर के पूर्व में एक अज्ञात जलस्त्रोत है, जिसे गुप्त गंगा कहा जाता है। जौरा-भौरा महल-अनाज रखने का गोदाम है।
ध्यातव्य रहे-2013 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया तथा दिसम्बर 2018 में इस दुर्ग पर 5 रु. का डाक टिकट जारी किया।
बीकानेर दुर्ग
इस दुर्ग की नींव रावबीका ने रखी, तब इसे बीकानेर का किला कहते थे, जिसे तुड़वाकर पुनः निर्माण रायसिंह ने 1588 ई. में हिन्दू व मुगल शैली में करवाया, तब इसे जूनागढ़ का किला कहने लगे।
- दुर्ग का निर्माण 1589 से 94 के मध्य हुआ
- बीकानेर दुर्ग का निर्माण मंत्री करमचंद की देखरेख में करवाया गया था
- यह दुर्ग मरुस्थल में स्थित है
- यह दुर्ग धान्वन एवं स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है इसलिए इसे 'जमीन का जेवर' कहा जाता है, तो यह रातीघाटी नामक स्थान पर बना हुआ है, इसी कारण इस दुर्ग को रातीघाटी का किला भी कहते हैं।
- इस दुर्ग की आकृति चर्तुभुजाकार है एवं इसका निर्माण लाल पत्थर से हुआ है। जूनागढ़ दुर्ग रेगिस्तान में बने सभी दुर्गों में सर्वश्रेष्ठ है।
इस किले में बने महलों के बारे में कहा जाता है, कि 'दीवारों के कान होते हैं परन्तु जूनागढ़ की दीवारें बोलती हैं।" इस दुर्ग में बने कर्ण महल का निर्माण महाराजा अनूपसिंह ने महाराजा कर्णसिंह की याद में करवाया। इस किले में बने 'अनूप महल' में सोने की कलम से कृष्ण रासलीला पर कार्य किया गया है।
- राजस्थान में पहली बार इसी दुर्ग में लिफ्ट लगाई गई, तो रायसिंह ने इस दुर्ग के सूरजपोल में हाथियों पर सवार जयमल व पत्ता की मूर्तियाँ लगवाई थी।
- इस किले में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का मन्दिर दर्शनीय हैं।
- सूरसिंह ने इसमें सूरसागर झील बनवाई, जिसका वसुन्धरा राजे ने जीर्णोद्वार करवाकर 15 अगस्त, 2008 को इसमें नौकायन का उद्घाटन किया।
- इस दुर्ग में एक भी साका नहीं हुआ है।
जूनागढ़ किले के कर्ण महल (सार्वजनिक दर्शक हॉल), अनूप महल (प्रशासनिक संग्रहालय), गंगा महल (गंगा सिंह द्वारा निर्मित प्रथम विश्व युद्ध के विमानों का एक मुख्यालय), बादल महल (दीवारों पर भगवान कृष्ण और राधा के भित्ति चित्रों का चित्रण) प्रसिद्ध है। जूनागढ़ के कर्णपोल प्रवेश द्वार को ऐतिहासिक समय का मुख्य द्वार माना जाता है।
कीर्ति स्तंभ
- कीर्ति स्तंभ चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- इसका निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था
- इसका निर्माण कुंभा द्वारा मांडू नरेश महमूद खिलजी को सारंगपुर युद्ध 1437 की विजय स्मृति में करवाया गया
- इसे विजय स्तंभ विष्णु स्तंभ आदि नामों से जाना जाता है
- इसे मूर्तियों का अजायबघर शब्दकोश विश्वकोश भी कहा जाता है
- इस इमारत के वास्तुकार जैता नापा और पूंजा थे
- नौवीं मंजिल पर कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति स्थित है
इस स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1440 में, सारंगपुर युद्ध (1437 ई.) में महमूद खिलजी प्रथम के ऊपर विजय के उपलक्ष्य में करवाया, इसी कारण इसे विजय स्तम्भ / विक्ट्री टावर कहते हैं,
- यह इमारत विष्णु को समर्पित होने के कारण इसे विष्णु ध्वजगढ़ कहते हैं। इस इमारत में कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ लगी हुई है, इसी कारण इसे मूर्तियों का अजायबघर/ भारतीय मूर्ति कला का विश्व कोष कहते हैं। विजय स्तम्भ के वास्तुकार जैता और उसके पुत्र नापा, पोमा, पूंजा है।
- यह स्तम्भ नौ मंजिला (नौ निधियों का प्रतीक है) है जो 120 फीट ऊँचा है। इसमें 157 सीढ़ीयाँ है।
- इसकी तीसरी मंजिल पर नौ बार अल्लाह लिखा हुआ है।
- कर्नल जेम्स टॉड ने इसके बारे में कहा "यह कुतुब मीनार से भी बेहतरीन इमारत हैं",
- फर्ग्यूसन ने इसकी तुलना रोम के टार्जन से की।
- यह राजस्थान की प्रथम इमारत है जिस पर 15 अगस्त, 1949 को एक रूपये का डाक टिकट जारी किया गया।
- विजय स्तम्भ राजस्थान पुलिस व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान का प्रतीक चिह्न है।
नागौर दुर्ग
- इस दुर्ग का प्राचीन नाम अहिछतरपुर था
- यह दुर्ग नगाना और नाग दुर्ग के नाम पर भी प्रसिद्ध है
- दुर्ग के बाहर से चलाई तोप के गोले महलों को क्षति पहुंचाए बिना ऊपर से निकल जाते थे
- नागौर का किला 'धान्वन श्रेणी' का दुर्ग है, जिसका निर्माण कैमास (सोमेश्वर के सामन्त) ने वैशाख सुदी तृतीया विक्रम संवत् 1211 में करवाया इस दिन इन्होंने इस स्थान पर भेड़ व भेड़िये को लड़ते हुए देखा। इस दुर्ग को नागाणा दुर्ग / नाग दुर्ग / अहिछत्रपुर दुर्ग आदि नामों से जाना जाता है। यह ऐसा दुर्ग है जिस पर दागे गये तोप के गोले महलों को क्षति पहुंचायें बिना ऊपर से निकल जाते हैं।
नागौर के दुर्ग में 28 विशाल बुर्जों का निर्माण किया गया है। यह दुर्ग वीर अमरसिंह राठौड़ की शौर्यगाथा के कारण इतिहास में विशिष्ट स्थान रखता है, जिसे यूनेस्को द्वारा “अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस" पुरस्कार से 2007 में सम्मानित किया गया। अकबर ने 1570 ई. में यहाँ आमेर के शासक भारमल की सहायता से नागौर दरबार लगाया तथा उसकी स्मृति के लिए शुक्र तालाब का निर्माण करवाया, तो यहाँ अमरसिंह राठौड़ की छतरी बनी हुई है।
गागरोन दुर्ग
- यह दुर्ग जल दुर्ग की श्रेणी में आता है
- यह कालीसिंध को आहु नदी के संगम पर स्थित है
- इसका निर्माण परमार नरेश बिजल देव ने करवाया था
- इस दुर्ग में पीपाजी की छतरी स्थित है और यहां मीठे शाह की दरगाह स्थित है
शेरगढ़
- यह दुर्ग धौलपुर में स्थित है
- इसका निर्माण राव मालदेव ने करवाया था
- इस दुर्ग में हुनहुँकार तोप स्थित है
- इस दुर्ग में मीर सैयद की दरगाह स्थित है
कुंभलगढ़ दुर्ग
- इस दुर्ग का निर्माण महाराणा कुंभा ने किया था
- दुर्ग का वास्तुकार मंडल था यह दुर्ग राजसमंद में स्थित है
- इस दुर्ग को गिरी दुर्ग की श्रेणी में रखा जाता है
- यह दुर्ग मत्स्येंद्र कुंभलगढ़ माहोर आदि नामों से जाना जाता है
- इस दूर के बारे में अबुल फजल ने कहा था कि नीचे से ऊपर देखने पर सिर की पगड़ी नीचे गिर जाती है
- कुंभलगढ़ दुर्ग की परिधि 36 किलोमीटर लंबी है जिसे भारत की महान दीवार के नाम से जाना जाता है
- इस दुर्ग में स्थित कटारगढ़ को मेवाड़ की तीसरी आंख कहा जाता है
अजमेर
- इस दुर्ग का निर्माण अजयराज चौहान ने किया था
- यह दुर्ग गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- हरविलास शारदा ने अजमेर दुर्ग को भारत का प्राचीनतम गिरी दुर्ग माना है
- इस दुर्ग को गढ़ बिठली और तारागढ़ नाम से भी जाना जाता है
- विसप हेबर ने इसको पूर्व का जिब्राल्टर कहां है
- इस दुर्ग में मीर साहब की दरगाह स्थित है और मीर साहब के घोड़े की मजार की स्थित है
सिवाना दुर्ग
- इस दुर्ग का निर्माण वीर नारायण पवार ने करवाया था
- यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- सिवाना दुर्ग बाड़मेर जिले में स्थित है
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1308 में इस दुर्ग को जीतकर इसका नाम खेराबाद रख दिया था
- इसे मारवाड़ की संकट कालीन राजधानी भी कहा जाता है
जोधपुर दुर्ग
- जोधपुर दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने किया था
- दुर्ग का निर्माण 1459 में किया गया
- दुर्ग की आकृति मयूर जैसी है
- यह दुर्ग चिड़ियाटूक पहाड़ी पर स्थित है
- इस दुर्ग को मयूरध्वज, गढ़ चिंतामणि, जोधाणा, मेहरानगढ़ नामों से जाना जाता है
जालौर दुर्ग
- इस दुर्ग का निर्माण नागभट्ट प्रतिहार ने करवाया था
- इसे सोनगढ़ सोनलगढ़ जलालाबाद नामों से जाना जाता है
- यहां पर परमार कालीन कीर्ति स्तंभ स्थित है
जैसलमेर दुर्ग
- इस दुर्ग का निर्माण राय जैसल ने किया था
- दुर्ग का निर्माण 1155 में करवाया गया
- किस दुर्ग को त्रिकूटाकृतिगढ़, सोनारगढ़, सोनगढ़ नामों से जाना जाता है
- इस दुर्ग को उत्तरी सीमा का पहरी भी कहा जाता है
- यह दुर्ग ढाई साके के लिए प्रसिद्ध है
कुचामन किला
- इसका निर्माण जालिम सिंह ने किया था
- यह किला नागौर जिले में स्थित है
- इसे जागीरी किलो का सिरमौर कहा जाता है
जयगढ़
- इस दुर्ग का निर्माण मानसिंह प्रथम कछवाहा के सवाई जयसिंह द्वितीय तक करवाया गया
- यह भी गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- मिर्जा राजा जयसिंह के नाम पर इस दुर्ग का नामकरण जयगढ़ हुआ
- इस दुर्ग को रहस्यम दुर्ग भी कहा जाता है
- इस दुर्ग में प्रवेश की अनुमति महाराजा के अलावा मात्र दो दुर्ग रक्षकों को थी
- कछवाहा राजवंश का खजाना इसी दुर्ग में रखा गया था
- एशिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप इसी दुर्ग में है
दोसा का किला
- इसे गिरी दुर्ग की श्रेणी में रखा जाता है
- इसका निर्माण बडगूजर प्रतिहार राजाओं द्वारा करवाया गया
- यह दुर्ग देवगिरी पहाड़ी पर स्थित है
नाहरगढ़ दुर्ग
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था
- इसका निर्माण 1734 में करवाया गया
- यहां पर सवाई माधव सिंह द्वितीय ने अपने पासबना के लिए एक समान 9 महलों का निर्माण करवाया
- इस दुर्ग के निर्माण का उद्देश्य मराठा आक्रमण से बचना था
आमेर
- इस दुर्ग का निर्माण भारमल और मानसिंह ने करवाया था
- यह दुर्ग गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है
- दुर्ग में सौभाग्य मंदिर कदमी महल प्रसिद्ध स्मारक स्थित है
बूंदी का किला
- बूंदी के किले का निर्माण 1354 ईसवी में हुआ था
- इसका निर्माण रावबर सिंह हाडा ने करवाया था
- कर्नल जेम्स टॉड ने इसे राजस्थान के समस्त रजवाड़ों में श्रेष्ठ राज प्रसाद बूंदी राज महल को कहा था
- बूंदी का किला भीति चित्रों के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध है
Rajasthan ke Durg PDF File Details
Name of The Book : *Rajasthan ke Durg PDF File*
Document Format: PDF
Total Pages: 8
PDF Quality: Very Good
PDF Size: 2 MB
Book Credit: S. R. Khand
rajasthan ke durg pdf
Tags - rajasthan ke durg, rajasthan ke durg in hindi, rajasthan ke durg gk, rajasthan ke durg pdf download, rajasthan ke durg photos, rajasthan ke durg short trick
9 Comments
VERY THANKS SIR
ReplyDeletewellcome
DeleteLohe ki kilo se konsa durg bna hua h
ReplyDeleteकोकिलगढ़ किस किले को कहा जाता है
ReplyDeleteHigh quality information
ReplyDeletewww.online-study.org.in
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletewww.online-study.org.in
DeleteSir. Rajputana mein Bhatti Rajvansh ki sthapna kisne ki .? (a) sardar bhatti (b) JaySingh Bhatti (c) Jaisal Bhatti (d) PratapSingh Bhatti
ReplyDeletethank u so much sir
ReplyDelete