नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनु. 148-151) - पं. नेहरू ने CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की स्थिति को संविधान में कमजोर दिखाने के उद्देश्य से सदन में वक्तव्य दिया था कि "CAG को लोकलेखा समिति का मित्र व मार्गदर्शक होना चाहिए. रखवाला या जासूसी कुत्ता नहीं।" भारत का CAG नाम का ही नियंत्रक है वास्तविक तौर पर वह लेखा परीक्षक का ही कार्य करता है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनु. 148-151) भाग-5 अध्याय 5
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का प्रावधान एवं नियुक्ति नियंत्रक महालेखा परीक्षक का पद भारत सरकार के अधिनियम 1935 से लिया गया है। भारत के संविधान के अनु. 148 के तहत् केन्द्र व राज्य दोनों स्तरों पर देश की सम्पूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित व लेखाबद्ध करने वाला पदाधिकारी नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कम्प्ट्रोलर एण्ड ऑडीटर जनरल) की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति मंत्रिमण्डल की सलाह पर करता है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनु. 148-151) भाग-5 अध्याय 5 |
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भारत सरकार के सार्वजनिक धन का संरक्षक वित्त का सर्वोच्च संरक्षक धन का प्रहरी भी कहा जाता है।
योग्यता -
CAG को ऑडिट कार्य का विशेष अनुभव हो। कार्यकाल CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) के कार्यकाल के संदर्भ में भारतीय संविधान में कोई वर्णन नहीं है लेकिन 42वें संविधान संशोधन, 1976 के तहत् इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो निर्धारित किया गया है।
पदमुक्ति CAG अपने कार्यकाल से पूर्व राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है या उसे महाभियोग प्रक्रिया द्वारा समय से पूर्व भी हटाया जा सकता है और महाभियोग प्रक्रिया न्यायाधीशों के समान लागू की जाती है।
वेतन -
44वें संविधान संशोधन 1978 के तहत् CAG के वेतन में संसद कोई भी कटौती नहीं कर सकती है। इसका वेतन संचित निधि से दिया जाता है। अनु. 149 से 151 में CAG की शक्तियों व अधिकारों का वर्णन है।
अनु. 150 के तहत् संघ और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप नियंत्रक महालेखा परीक्षक की सलाह से राष्ट्रपति तय करता है। ।
अनु. 151 के तहत् संघ और राज्यों के लेखाओं से सम्बन्धी प्रतिवेदनों का नियंत्रक महालेखा परीक्षक, राष्ट्रपति व राज्यपाल को सौंपता है तथा राष्ट्रपति उसे संसद के तथा राज्यपाल राज्यों के विधानमण्डल के समक्ष रखता है जिसकी जाँच लोक लेखा समिति के द्वारा की जाती है।
CAG संघ, राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश के खर्चों की जाँच व रिपोर्ट तैयार करता है तथा राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
सेवानिवृत्ति के पश्चात् CAG किसी भी सरकारी पद (भारत) सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होगा।) को धारण नहीं कर सकता। देश का प्रथम CAG नरहरि राव था। वर्तमान CAG राजीव महर्षि है
अभी तक के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक
नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक |
कार्यकाल का आरम्भ |
कार्यकाल का अन्त |
वी० नरहरि राव |
1948 |
1954 |
ए० के० चन्द |
1954 |
1960 |
ए० के० राय |
1960 |
1966 |
एस० रंगनाथन |
1966 |
1972 |
ए० बक्षी |
1972 |
1978 |
ज्ञान प्रकाश |
1978 |
1984 |
त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी |
1984 |
1990 |
सी० एस० सोमैया |
1990 |
1996 |
वी० के० शुंगलू |
1996 |
2002 |
वी० एन० कौल |
2002 |
2008 |
विनोद राय |
2008 |
2013 |
शशिकान्त शर्मा़ |
2013 |
2017 |
राजीव महर्षि |
2017 |
2020 |
गिरीशचंद्र मुर्मू |
2020 |
पदस्थ |
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्य
वह भारत की संचित निधि , प्रत्येक राज्य की संचित और प्रत्येक संघ शाषित प्रदेश, जहाँ विधानसभा हो, से सभी व्यय सम्बन्धी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
इसका वेतन संसद द्वारा निर्धारित होता हैं। अनु.148(4) के अनुसार नियंत्रक महकेखापरिक्षक अपने पद पर न रह जाने के पश्चात, भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होगा। संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत के साथ उसके दुर्व्योहर या अयोग्यता पर प्रस्ताव पारित कर इसे पद से हटाया जा सकता हैं। इसे लोक लेखा समिति का 'आंख व कान' कहा जाता हैं। आखिरकार विपक्ष ऑर कैग के मध्य सामंजस्य यह होता है अगर किसी लेन देन में गलती हो तो उसे विपक्ष को बताना
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