Vayudab Petiya in Hindi - वायुदाब की पेटियाँ

 Vayudab Petiya in Hindi - इस पोस्ट में हम वायुदाब की पेटियाँ (Pressure Belts) एवं उनसे सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ये पोस्ट समान्य ज्ञान की दृस्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है ये नोट्स आगामी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उपयोगी है

Vayudab Petiya in Hindi -  वायुदाब की पेटियाँ

वायुमंडलीय दाब - वायुमण्डलीय दबाव का अर्थ है किसी दिए गए स्थान तथा समय पर वहाँ की हवा के स्तम्भ का भार। इसे 'बैरोमीटर' में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने वाले बल के रूप में मापते हैं। वायुदाब का अध्ययन सर्वप्रथम गैरिक ने किया।
Vayudab Petiya in Hindi -  वायुदाब की पेटियाँ
वायुदाब की पेटियाँ


वायुदाब मापने की इकाई kPa मिलीबार तथा पास्कल होती है। समुद्रतल पर सामान्य वायुमण्डलीय दाब 76 सेमी. Hg या 1013.25 मिलीबार होता है। बैरोमीटर के पठन में तेजी से गिरावट तूफानी मौसम का संकेत देती है। बैरोमीटर के पठन का पहले गिरना फिर धीरे-धीरे बढ़ना वर्षा की स्थिति का द्योतक है। बैरोमीटर में पठन का लगातार बढ़ना प्रति चक्रवाती और साफ मौसम का संकेत देता है।

वायुमंडलीय दाब के वितरण को समदाब रेखाओं (आइसोबार) के द्वारा दर्शाया जाता है। यह वह कल्पित रेखा है जो समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती है। समदाब रेखाओं की परस्पर दूरियाँ वायुदाब में अंतर की दिशा और उसकी दर को दर्शाती हैं जिसे दाब प्रवणता कहते हैं। इसे 'बैरोमीट्रिक ढाल' कहा जाता है। वायुदाब का वितरण असमान है। वायुदाब में अंतर के कारण हवा में क्षैतिज गति आती है जिसे पवन कहते हैं। वायुमण्डलीय दाब को मौसम के पूर्वानुमान का एक महत्त्वपूर्ण सूचक माना जाता है।

  • सर्वाधिक वायुदाब (1075.2 मिलीबार) -इर्कुस्टक (साइबेरिया) 
  • न्यूनतम वायुदाब (877 मिलीबार) मेरियाना द्वीप के पश्चिम में


वायुमंडलीय दाब का वितरण


ऊर्ध्वाधर वितरण - 

वायुमण्डल की निचली परतों में हवा का घनत्व व वायुमण्डलीय दाब अधिक होते हैं। ऊँचाई के साथ हवा के दाब में कमी आती है। क्षोभमण्डल में वायुदाब घटने की औसत दर प्रति 300 मीटर को ऊँचाई पर लगभग 34 मिलीबार है।

क्षैतिज अक्षांशीय वितरण- 

(1)विषुवतीय निम्न (5°N-5°S)- 

यह अत्यधिक निम्न वायुदाब का कटिबंध है। यह तापजन्य निम्न दाब पेटी है। इस कटिबंध में धरातलीय क्षैतिज पवन नहीं चलती है। इस कटिबंध में केवल ऊर्ध्वाधर वायुधाराएँ हो पाई जाती हैं। इस कटिबंध को डोलड्रम या शांत कटिबंध कहते हैं। 

(2) उपोष्ण उच्च (30°35°N-S)- 

इसके निर्माण के लिए तापीय व गतिक कारक उत्तरदायी हैं। विषुवतीय निम्नदाब क्षेत्र से ऊपर उठी हवाएँ ऊपरी वायुमण्डल में ध्रुवों की ओर प्रवाहित होती हैं। परन्तु पृथ्वी के घूर्णन बल के कारण ये पूर्व की ओर विक्षेपित होने लगती हैं। इस बल को 'कॉरियॉलिस बल' कहते हैं। विषुवत रेखा से बढ़ती दूरी के साथ-साथ इस बल की मात्रा भी बढ़ती है। अत्यधिक क्षीण व परिवर्तनशील पवनों के कारण यहाँ वायुमण्डल बहुत शांत रहता है। इस वायुदाब कटिबंध को 'अश्व अक्षांश' भी कहा जाता है।

 (3) उपध्रुवीय  निम्न (60°-65°N-S)-

 इसके निर्माण में गतिक कारक अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। उपोष्ण कटिबंधों और ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली वायु क्रमशः 45° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों तथा आर्कटिक वृत्तों के मध्य परस्पर टकराती है एवं ऊपर उठ जाती है जिससे यहाँ निम्न दाब क्षेत्र का निर्माण होता है व चक्रवाती आंधियाँ आती हैं।


(4) ध्रुवीय उच्च (उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के निकट) - 

अत्यधिक निम्न तापमान के कारण यहाँ वायुमण्डल को ठंडी व भारी हवाएँ सतह पर उतरती रहती हैं, परिणामस्वरूप यहाँ उच्च वायुदाब क्षेत्र का निर्माण होता है। 

वायुदाब कटिबंध सूर्य के आभासी संचरण के कारण गर्मियों में उत्तर की ओर एवं सर्दियों में दक्षिण की ओर खिसकते रहते हैं।


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