मूल कर्तव्य

मूल कर्तव्यमूल संविधान में इनका कोई उल्लेख नहीं था लेकिन 42 के संविधान संशोधन 1976 [CGTET-2011] द्वारा (सरदार स्वर्ण सिंह समिति [UPTET-2014, REET-2016], 1973 के आधार पर) संविधान के भाग 4( क ) REET 2018 ] तथा अनु. 51(क) [RTET-2012] के अन्तर्गत कुल 10 मूल कर्त्तव्य | RTET-2011] जोड़े गए।

मूल कर्तव्य

मूल कर्तव्य
मूल कर्तव्य


मूल कर्तव्यों की प्रेरणा पूर्व सोवियत संघ (रूस) के संविधान से ली गई है। मूल कर्त्तव्य न्याय योग्य नहीं हैं अर्थात् इनका उल्लंघन होने पर न्यायालय द्वारा दंड का प्रावधान नहीं है।

ध्यातव्य रहे - मूल कर्त्तव्यों को प्रभावी बनाने हेतु 'सी. आर. ईरानी समिति का गठन किया गया।

86वाँ संविधान संशोधन, 2002 [REET-2016, UPTET 2016 ] द्वारा इसमें 11वाँ मूल कर्त्तव्य जोड़ा गया जो 6-14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए शिक्षा से सम्बन्धित था [UPTET 2016]

ध्यातव्य रहे - वर्तमान में 11वाँ मूल कर्त्तव्य'शिक्षा' हैं, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बालक को अनिवार्य शिक्षा दिलवाना,अभिभावकों का मूल कर्त्तव्य बनाया गया तथा 1 अप्रेल, 2010 को सम्पूर्ण भारत में लागू कर दिया गया।

अनु. 51(क) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि 
  1. वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे.
  2. स्वतन्त्रता के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे, 
  3. भारत की प्रभुता-एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे,
  4. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे, 
  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे, जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हो तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है,
  6. हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे,
  7. प्राकृतिक पर्यावरण (जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी, वन्यजीव) की रक्षा करे, उसका संवर्धन करे और प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखें, 
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे,
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे तथा हिंसा से दूर रहे,
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्षता की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे, 
  11. 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को उनके माता-पिता या संरक्षक द्वारा उन्हें शिक्षा के अवसर प्रदान करे। (86वां संविधान संशोधन 2002)
ध्यातव्य रहे - कर्त्तव्य एवं अधिकार में संतुलन स्थापित करने का कार्य प्रशासन के द्वारा किया जाता है तब ही व्यवस्था बनी रहती है। भारत सरकार ने मौलिक कर्त्तव्यों के क्रियान्वयन के लिए जे. एस. वर्मा समिति (1999) का गठन किया।

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